रक्षण प्रक्रिया
सुरक्षा प्रक्रिया
रक्षा प्रक्रिया
और भी कठिनाई
कि जिंदगी यूँ ही
बढ़ती रहे आगे-आगे
यह तथ्य चलकर भी
विश्वास कायम हो
या नहीं हो,
किन्तु-परंतु
आकस्मिक जीवंतता के
विन्यास पर
देखते-देखते
रोकने पर
मनमोहकता भी
एक-दूसरे से परे पहुँचकर
नित्यानंदरूप अखंडता के प्रसंगश:
हम आगे बढ़कर बातें कर लें
यही सापेक्ष है,
अन्यथा सब निरपेक्ष है
यह होकर भी
कुछ भी तय नहीं है
कि आगे का कुछ भी भय नहीं है
यह तो होना ही है
कि लोगों के बाद भी
यह अकारण नहीं है
बिना कारण के
सकारण नहीं है,
अपितु यह संशयात्मक है,
आशयात्मक है
कठिनाई के साथ
विपथगाथ
और भी
और भी
और भी
और भी !