ट्वेंटी-ट्वेंटी
इस सदी के दूसरे दशक की
अंतिम तारीख के शेष घंटे हेतु
मेरे तरफ से भरपूर प्यार, मित्रो !
×××
रातें गुमनामी लिए होती हैं,
लेकिन हर रातें कम से कम
एक कहानी जरूर छोड़ जाती हैं !
×××
मित्रो से हुई हरतरह की
बातों पर क्षमायाचना
पर उसी शै में
इस साल का अंतिम सुप्रभात !
×××
महा ‘राष्ट्र’ में एक ही मंत्री ‘मंडल’ में
पिता भी, पुत्र भी
वंशवाद और परिवारवाद के
विरोधी का जय हो, भैया !
×××
सरकारी नौकरियों में
काम के घंटे बढ़े,
कार्य की अधिकता से थकान बढ़ी
और ज़िन्दगी थकी;
नींद घटी, बीमारियाँ बढ़ी,
डिप्रेशन से उम्र घटी !
×××