गजल
फीके हुआ बाजार कोरोना है
मंदी की पड़ी मार कोरोना है
कोई तरीका बताए तो निजात मिले
दिखता नहीं कोई सुधार कोरोना है।
हाथ मिलाने को मन तो करता है बहुत
डर ने किया लाचार कोरोना है।
अभी दवा आने जरा समयबाकी है बचा
मास्क पहनो अभी समझाए सरकार कोरोना है।
बदलाव लाने से शायद बदल जाए सबकुछ
कुछ तो करो विचार कोरोना है।।