अपना ‘दीपक’ खुद बनो !
कुम्हार-कृति लिए ज्योति-पर्व में उनके घर और दिल में जाकर भी दीप जलाएँ, जिनके घर और दिल में अबतक किसी प्रकार के रोशन नहीं हुए हैं…..
तभी आपकी दीपावली सफल और सुफल होगी…….
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दुश्मन को लगे हुकाहुकी की तित्ति,
यहाँ हाथ नहीं मिलते, दिल मिलना दूर है !
हाँ, दिल भी जले, दीप भी जले !
प्रदूषणरहित सुरक्षित दीवाली !
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अप्प दीपो भव:
[अपना दीपक व प्रकाश स्वयं बनो]
यह संत बुद्ध का कथन है।
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गोबर भी धन है, तो माँ का दूध के विकल्प हेतु गायों का विकास [गौ-वर्द्धन] जरूरी है !
ज्योतिपर्व जैसे इनमें भी वैज्ञानिकी है,
नमन…