गीत/नवगीत

गीत

सपने सजाने लगा आजकल हूं
मिलने मिलाने लगा आजकल हूं
हाबी हुई शख्सियत मुझ पे उनकी
खुद को भुलाने लगा आजकल हूं
इधर तन्हा मैं था उधर तुम अकेले
किस्मत समय ने ये क्या खेल खेले
गीत गजलों की गंगा तुमसे ही पाई
गीत गजलों को गाने लगा आजकल हूँ
जिधर देखता हूं उधर तू मिला है
ये रंगीनियों का गजब सिलसिला है
नाज क्यों ना मुझे अपने जीवन पे आए
तुमसे रब को पाने लगा आजकल हूं
— मदन मोहन सक्सेना

*मदन मोहन सक्सेना

जीबन परिचय : नाम: मदन मोहन सक्सेना पिता का नाम: श्री अम्बिका प्रसाद सक्सेना जन्म स्थान: शाहजहांपुर .उत्तर प्रदेश। शिक्षा: बिज्ञान स्नातक . उपाधि सिविल अभियांत्रिकी . बर्तमान पद: सरकारी अधिकारी केंद्र सरकार। देश की प्रमुख और बिभाग की बिभिन्न पत्रिकाओं में मेरी ग़ज़ल,गीत लेख प्रकाशित होते रहें हैं।बर्तमान में मैं केंद्र सरकार में एक सरकारी अधिकारी हूँ प्रकाशित पुस्तक: १. शब्द सम्बाद २. कबिता अनबरत १ ३. काब्य गाथा प्रकाशधीन पुस्तक: मेरी प्रचलित गज़लें मेरी ब्लॉग की सूचि निम्न्बत है: http://madan-saxena.blogspot.in/ http://mmsaxena.blogspot.in/ http://madanmohansaxena.blogspot.in/ http://www.hindisahitya.org/category/poet-madan-mohan-saxena/ http://madansbarc.jagranjunction.com/wp-admin/?c=1 http://www.catchmypost.com/Manage-my-own-blog.html मेरा इ मेल पता: [email protected] ,[email protected]