सदाबहार काव्यालय: तीसरा संकलन- 20
परिवर्तन ही जीवन है
जो कल था, है वह आज नहीं,
जो आज है, कल न रहे निश्चल,
है रूप बदलती नित्य मही,
कब कौन रहा है यहां अटल!
कभी आतप से है तापित जग,
कभी शीतलता का राज अखंड,
कभी वर्षा करती हर्षित मन,
कभी धूप का, लू का राज्य प्रचंड.
जब छाता है तम घोर-गहन,
तब करने को तम को कर्त्तन,
दप-दप कर सूरज का दर्पण,
करता है तम में परिवर्तन.
चहुं ओर उजाला हो जाता,
जगती का जीवन जग जाता,
आ जाती जीवन में हलचल
प्राणी नवजीवन पा जाता.
जब दुःख से होता कोई दुःखित,
जब होता है नर खूब तृषित,
किसी भांति न हो वह सके तृपित,
तब स्वाति बूंद होती है द्रवित.
तब सारे दुःख मिट जाते हैं,
जीवन-तरु है तब इठलाता,
मरु में भी मिलता पानी है,
जब परिवर्तन है हो जाता.
जब दिन की गहमागहमी से,
बारिश, सर्दी और गरमी से,
कभी सख्ती से, कभी नरमी से,
नर हो जाते हैं जख्मी-से.
तब मरहम बनकर धातृ सम,
दीपक लेकर आती है निशा,
नर शांति-दूत बन जाता है,
हर लेती है वह पूर्ण तृषा.
हर पल परिवर्तन होता है,
कभी पाता है, कभी खोता है,
जो परिवर्तन पर रोता है,
वह जीवन का सुख खोता है.
परिवर्तन नियम प्रकृति का,
यह मान चलो, सुख पाओगे,
परिवर्तन पर रोते ही रहकर,
जीवन को व्यर्थ कर जाओगे.
यह परिवर्तन ही जीवन है,
इससे ही रूप नया मिलता,
होता जब अंत पुरातन का,
नव सृजन-सुमन है तब खिलता.
पतझड़ के दुःख को सह-सहकर,
तरु होता मधुऋतु में हर्षित,
वर्षा-आतप सह शीत-घाम,
होता जीवन-शतदल विकसित.
17.12.1985
-लीला तिवानी
मेरा संक्षिप्त परिचय
मुझे बचपन से ही लेखन का शौक है. मैं राजकीय विद्यालय, दिल्ली से रिटायर्ड वरिष्ठ हिंदी अध्यापिका हूं. कविता, कहानी, लघुकथा, उपन्यास आदि लिखती रहती हूं. आजकल ब्लॉगिंग के काम में व्यस्त हूं.
मैं हिंदी-सिंधी-पंजाबी में गीत-कविता-भजन भी लिखती हूं. मेरी सिंधी कविता की एक पुस्तक भारत सरकार द्वारा और दूसरी दिल्ली राज्य सरकार द्वारा प्रकाशित हो चुकी हैं. कविता की एक पुस्तक ”अहसास जिंदा है” तथा भजनों की अनेक पुस्तकें और ई.पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है. इसके अतिरिक्त अन्य साहित्यिक मंचों से भी जुड़ी हुई हूं. एक शोधपत्र दिल्ली सरकार द्वारा और एक भारत सरकार द्वारा पुरस्कृत हो चुके हैं.
मेरे ब्लॉग की वेबसाइट है-
https://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/rasleela/
जय विजय की वेबसाइट है-
https://jayvijay.co/author/leelatewani/
सदाबहार काव्यालय: तीसरा संकलन के लिए कविताएं भेजने के लिए ई.मेल-
[email protected]
हमारे शरीर के पुराने सैल नष्ट हो जाते हैं और उनकी जगह नए सैल ले लेते हैं। यह तो हमारी देह की स्थिति है, हमारी आंतरिक स्थिति में और व्यक्तित्व में भी पल-पल परिवर्तन होता रहता है। … जो मानव परिवर्तन का पहले से ही अनुमान लगा लेता है वही अपने आप को परिस्तिथियों के हिसाब से ढालकर सफल होता है।