कविता

/ चेतना का संसार हूँ मैं /

समस्या नहीं,
समाधान हूँ मैं
उभरकर आता हूँ
मानववाद के तत्व में,
अंतश्चेतना के द्वन्द्व में
मेरी अपनी चिनगारी है
जग की मूढ़ता जलाने की
कभी बुझती नहीं उत्सुकता
हर दिन बढ़त सवायो
अलग रहता हूँ मैं तुम से
अकेलेपन ही पसंद करता हूँ
नव समाज की परिकल्पना में
चित्र बनता रहता हूँ मैं
असमर्थ, अपंग मत समझो !
मैं चेतना का संसार हूँ
दुनिया मेरे अंदर बसता है
इस दुनिया में मैं बसता हूँ
नहीं भेद व्यवधान मेरे अंदर
बस, समता का समावेश है
भाईचारे की भव्य भरमार है ।

पी. रवींद्रनाथ

ओहदा : पाठशाला सहायक (हिंदी), शैक्षिक योग्यताएँ : एम .ए .(हिंदी,अंग्रेजी)., एम.फिल (हिंदी), सेट, पी.एच.डी. शोधार्थी एस.वी.यूनिवर्सिटी तिरूपति। कार्यस्थान। : जिला परिषत् उन्नत पाठशाला, वेंकटराजु पल्ले, चिट्वेल मंडल कड़पा जिला ,आँ.प्र.516110 प्रकाशित कृतियाँ : वेदना के शूल कविता संग्रह। विभिन्न पत्रिकाओं में दस से अधिक आलेख । प्रवृत्ति : कविता ,कहानी लिखना, तेलुगु और हिंदी में । डॉ.सर्वेपल्लि राधाकृष्णन राष्ट्रीय उत्तम अध्यापक पुरस्कार प्राप्त एवं नेशनल एक्शलेन्सी अवार्ड। वेदना के शूल कविता संग्रह के लिए सूरजपाल साहित्य सम्मान।