सिंदूर या रेडलाइनर !
एक चुटकी सिंदूर का स्थान
जब से
‘रेड लाइनर’ ने ली है,
तब से
रमेश बाबू सोच रहे,
उनका क्या होगा ?
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क्या अंधभक्त
और चमचे
एक-दूसरे के
पर्याय शब्द है ?
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उनकी सोच संस्कारहीन
और बेहद घटिया है !
पीठ पीछे लोग यही कहते हैं !
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मेरे पोस्ट पर वही आएं,
जो जिंदगी को
हँसी-मजाक लिए
जीना चाहते हैं !
वे नहीं ही आये,
जो मन में
भगंदर रोग से पीड़ित
कथित ‘समाजसेवी’ हैं !
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दरअसल ‘लेखक’ वही है,
जो वाद-विवादों को
निमंत्रण देकर
हमेशा ही
सुर्खियों में रहते हैं !
अच्छे लेखक
गाली सुनने के
आदी होते हैं !