गीतिका/ग़ज़ल गजल अभिषेक जैन 02/12/2020 तुम बदल गए मुझे छल गए देख मुझको अपनी राहें बदल गए तुम थे तो किस्मत थी साथ मे तुम भी अब हाथों से निकल गए पत्थर दिल की थी आंख नम पत्थर दिल भी थे पिघल गए कल देख के अपनी गली में तुझे सोए अरमा थे जो मचल गए — अभिषेक जैन