कविता

मिथिलेश भाई की एक कविता

कवि मिथिलेश राय की प्रस्तुत कविता में बुनी गई बारीकियाँ तो देखिए-

स्त्रियों के वस्त्रों पर फूल टंके होते हैं
कोई लता पसरी रहती है
और उनमें पत्ते उगे रहते हैं
एक स्त्री के वस्त्र पर
बहुत सारी चिड़िया फुदक रही थीं
उन चिड़ियों का चोंच खुला था
और वे उड़ रही थीं
उनके पंख फैले हुए थे
स्त्रियां अपने वस्त्रों के बेल-बुटे को
जरूर बड़े जतन से निहारती होंगी
वे रंग-बिरंगे फूलों को बार-बार देखती होंगी
और इस छोर से उस छोर तक फैले लताओं में उगे पत्तों पर
रह-रह कर हाथ फेरने लग जाती होंगी
यह सब करती
अपने चेहरे पर आई खुशी को
स्त्रियां मुस्कुरा कर प्रकट करतीं होंगी
धूप में टंगी साड़ी के आंचल में
लाल रंग के बने वृक्ष पर जो चिड़िया बैठी रहती हैं
स्त्रियां उसे देखकर कोई गीत गुनगुनाने लग जाती होंगी
वे उठकर फूलों को सहलाती होंगी
और वृक्षों को निहारने लग जाती होंगी
इस क्रम में स्त्रियां
अपने पास खड़े बच्चे को
अंक में भर लेती होंगी
और उन्हें पुचकारने लग जाती होंगी!

सच में प्रस्तुत कविता सच को गुनती-बुनती है !

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.