कविता – सवाल
आज पूछे जाएं गे
तुमसे भी
कई सवाल
जो आपकी तकलीफ़ को बढ़ाएंगे
आप चींखें बहुत ओ शोर
मचाएंगे
मगर आज
आप बच न पाएंगे
क्योंकि
भूखों को रोटी
के खाब दिखाने
वाले आप ही तो थे
भरपेट खिलाने वाले
आप ही तो थे
अब। ये सवा ल है
कहां गई वो रोटियां
जो मेरी भूख को
मिटाने वाली थी
पर मिटा न सके
इतनी महंगाई
भी बढ गई है के
जनता दो रोटियां भी
खा न सकी
— अभिषेक जैन