कविता

कविता – सवाल

आज पूछे जाएं गे

तुमसे भी

कई सवाल

जो आपकी तकलीफ़ को बढ़ाएंगे

आप चींखें बहुत ओ शोर

मचाएंगे

मगर आज

आप बच न पाएंगे

क्योंकि

भूखों को रोटी

के खाब दिखाने

वाले आप ही तो थे

भरपेट खिलाने वाले

आप ही तो थे

अब। ये सवा ल है

कहां गई वो रोटियां

जो मेरी भूख को

मिटाने वाली थी

पर मिटा न सके

इतनी महंगाई

भी बढ गई है के

जनता दो रोटियां भी

खा न सकी

— अभिषेक जैन 

अभिषेक जैन

माता का नाम. श्रीमति समता जैन पिता का नाम.राजेश जैन शिक्षा. बीए फाइनल व्यवसाय. दुकानदार पथारिया, दमोह, मध्यप्रदेश