क्षणिका

बुझी-गुझी

नपुंसक, हिजड़ा, निपुतरा,
बाँझ इत्यादि शब्द पर
‘बैन’ लगनी चाहिए,
यह पीड़ादायक है !
इनकी कृति के आगे
विवाहित, सन्तानसुखी
तिनके भी नहीं !

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26 जनवरी 1950 को
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने कहा था-
अब न कोई राजा है
और न कोई प्रजा !
है तो सभी राजा
और सभी हैं प्रजा !

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भारतरत्न डॉ.अम्बेडकर ने
ठीक कहा था-
हमें आज़ादी
अंग्रेजी दासता से
मिली है,
किन्तु हम
अपने ही लोगों के
अब भी गुलाम हैं !

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‘रात’
प्रतीक्षालय है
या स्लीपिंग गाउन !
करवटें या
बिस्तर की सिलवटें !
किसी के पास उत्तर है,
तो रात में कहेंगे !

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.