बुझी-गुझी
नपुंसक, हिजड़ा, निपुतरा,
बाँझ इत्यादि शब्द पर
‘बैन’ लगनी चाहिए,
यह पीड़ादायक है !
इनकी कृति के आगे
विवाहित, सन्तानसुखी
तिनके भी नहीं !
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26 जनवरी 1950 को
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने कहा था-
अब न कोई राजा है
और न कोई प्रजा !
है तो सभी राजा
और सभी हैं प्रजा !
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भारतरत्न डॉ.अम्बेडकर ने
ठीक कहा था-
हमें आज़ादी
अंग्रेजी दासता से
मिली है,
किन्तु हम
अपने ही लोगों के
अब भी गुलाम हैं !
××××
‘रात’
प्रतीक्षालय है
या स्लीपिंग गाउन !
करवटें या
बिस्तर की सिलवटें !
किसी के पास उत्तर है,
तो रात में कहेंगे !