कविता

काव्य-मंच 

काव्य-मंच
(मापनी:- 2122  2122  212)

काव्य मंचों की अवस्था देख के,
लग रहा कविता ही अब तो खो गयी;
आज फूहड़ता का ऐसा जोर है,
कल्पना कवियों की जैसे सो गयी।

काव्य-रचना की जो प्रचलित मान्यता,
तोड़ उनको जो रचें वे श्रेष्ठ हैं;
नव-विचारों के वे संवाहक बनें,
कवि गणों में आज वे ही ज्येष्ठ हैं।

वासनाएँ मन की जो अतृप्त हैं,
वे बहें तो काव्य में रस-धार है;
हो अनावृत काव्य में सौंदर्य तो,
आज की भाषा में वो शृंगार है।

रूप की प्रतिमा अगर है मंच पर,
गौण फिर तो काव्य का सौंदर्य है;
फब्तियों की बाढ़ में खो कर रहे,
काव्य का ही पाठ ये आश्चर्य है!

चुटकलों में आज के श्रोता सभी,
काव्य का पावन रसामृत ढूंढते;
बिन समझ की वाहवाही करके वे,
प्राण फूहड़ काव्य में भी फूंकते।

मूक कवि, वाचाल सब लफ्फाज हैं,
काव्य के सच्चे उपासक खो रहे;
दुर्दशा मंचों की ऐसी देख कर,
काव्य-प्रेमी आज सारे रो रहे।

बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’
तिनसुकिया

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'

नाम- बासुदेव अग्रवाल; जन्म दिन - 28 अगस्त, 1952; निवास स्थान - तिनसुकिया (असम) रुचि - काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि। सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्र और अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिन्दी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं। प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं। (1) "मात्रिक छंद प्रभा" जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में 'मात्रिक छंद कोष' दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।) (2) "वर्णिक छंद प्रभा" जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में 'वर्णिक छंद कोष' दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)