नया साल
आँख मारकर मुर्गा बोला
आओ कर लें प्यार
मुर्गी तू आजा होकर
बन सँवर तैयार ।
जब तक जिएंगे
लिपटे रहेंगे
एक दूजे की बाँहों मे
खोये रहेंगे, डूबे रहेंगे ।
इतराकर, नजरें झुकाकर
बोली मुर्गी शर्माकर
देख सफेद क़लगी
क्यूँ जवानी तेरी सुलगी ।
“आप” के जैसा
वादे न कर
उफनूंगी जब मैं
तू बरसेगा “मोदी” पर ।
क्यों तू बना है ‘मीडिया’
करता तिल का ताड़
जब मैं ठोकुंगी ताल
तू रोयेगा ब़ेजार ।
हाय हाय कर बोला मुर्गा
सुन ले मेरी कहानी
न रहेंगे हम
न हमारी जवानी ।
मर जाएंगे
कट जाएंगे
जान जाएगी अपनी
स्वाद दूसरे पाएंगे ।
आने वाला है नया साल
होंगे हम हलाल ।
इसीलिए
जब तक है दिसंबर
बने हम धरा अंबर
धरा अंबर धरा अंबर ।
— श्याम सुन्दर मोदी