उपरवाला
उपर वाला निरंकार है
जनमानस का आधार है
सुन ले विनति अंतर्यामी
तेरी महिमा अपरंपार है
जो पड़ा है अधर्म के पग में
उसका मन सारथी फरार है
भज ले जो नाम तेरा
उसका बेड़ा फिर पार है
हो तुम ज्योति सबकी अनंत तक
चाहे कितना ही फैला अंधकार है
जो जप लें नाम प्रभु का सब
कितना सुंदर ये फिर संसार है