भाषा-साहित्य

मेरा भाई

 

कदै भी पड्या मैं तनै ठाया भाई
हर एक जिम्मा तनै निभाया भाई
मै तो जिब कसूता ऐ डरया करदा
साईकल पै पहली तनै चलाया भाई
मै तो कतई धूल
तेरे स्नेह का फूल नूये खिलेगा
सच बताऊँ तेरे बरगा भाई नहीं मिलेगा

कदै तै दिलखोल कै जिणियां सै
किसे तै बी कोनी डरदा
आजकल इसा प्रेम मनै दिखे सै
किसै पे भी कोनी पलदा
बेर तोड़े,झींझ खाई
अंताक्षरी की रात आली अंगड़ाई
कंचे खेलदे पीपे मै
रात नै गोली बजाई
सबैरे रोज फेर आज्या है सूरज
बेशक सांज नै ढलैगा
सच बताऊँ तेरे बरगा भाई नहीं मिलेगा

गृहस्थी की समझदारी
तनै ये इब तई सिखाई
आपणी दुनिया खूब आबाद सै
तेरी सारी बात आज बी याद सै
मै कदे बी रया भूखा
तो तनै खुद का खाण नै दिया निवाला
सब कुछ ठीक होगा कती
आपणै उपर सै बाबा खेड़े आला
वो सब कुछ दैख सै उपर खड्या
पत्थर कै पाणी मै गलैगा
सच बताऊँ तेरे बरगा भाई नहीं मिलेगा

 

प्रवीण माटी

नाम -प्रवीण माटी गाँव- नौरंगाबाद डाकघर-बामला,भिवानी 127021 हरियाणा मकान नं-100 9873845733