कविता माँ प्रवीण माटी 16/12/2020 जीवन संघर्ष दाना-पानी हर्ष पंख उड़ान माँ ही अभिमान घोसला निगरानी आँख खुलने तक माँ की महरबानी रास्ता दिखाती रोज आँचल में उसके मौज कठिनाई सहन सीना तान माँ ही हमारी पहचान