ग़ज़ल
पाप मत किया करो।
रब से कुछ डरा करो।
जग से मत डरा करो।
बात हर कहा करो।
प्यार से रहा करो।
रोज़ मत लड़ा करो।
होश में रहा करो।
नाप कर पिया करो।
ज़ुल्म रोक दो ज़रा,
ज़ालिमों हया करो।
बेबसी जहाँ दिखे,
जा वहाँ दया करो।
अब यहाँ छिड़क नमक,
घाव मत हरा करो।
ज़ुल्म बढ़ गया बहुत,
कर उठा दुआ करो।
जब जले शमा कहीं,
जा वहाँ जला करो।
इश्क़ का चखो मज़ा,
रात भर जगा करो।
ज़िन्दगी को हर घड़ी,
मस्त हो जिया करो।
— हमीद कानपुरी