फटे में टाँग
मैं न भाजपाई हूँ,
न कांग्रेसी !
न कामरेड,
न बसपाई,
न केजरीवाई !
न लालूआई,
न मुलायमलाई !
चाय-नाश्ते छोड़े भी
244 दिन हो गए !
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कहावत है-
फ़टे में टाँग घुसाना !
मित्रो !
फ़टे में दूसरी चीजें
घुसाई जा सकती है,
पर टाँग तो
हरगिज़ नहीं ?
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मैं चीनीवाला
‘हलवा’ नहीं,
नमकवाला हलवा
खाता हूँ !
यानी सत्तू….
लाल सलाम !