धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

विशेष सदाबहार कैलेंडर- 168

1.दुख इसलिए आते हैं,
कि शायद हमारी आंखों को आंसुओं से धुलने की ज़रूरत है,
ताकि हम दुनिया को स्पष्ट रूप से देख सकें.

2.अनकहे शब्दों के बोझ से थक जाता हूं कभी कभी,
न जाने खामोश रहना समझदारी है या मजबूरी.

3.न किसी के अभाव में जियो, न प्रभाव में,
अपने स्वभाव में जियो.

4.दुनिया तुम्हें तब तक नहीं हरा सकती,
जब तक तुम खुद से न हार जाओ.

5.दुनिया में तेरे प्यार का कोई तोल नहीं,
तेरे अहसानों का मां दुनिया में कोई मोल नही,
तेरे नाम की तुलना में दुनिया में कोई बोल नहीं,
स्वार्थ की दुनिया में तेरी कोई पोल नहीं,
मां ममता का वह रूप,
जिसमें बाहरी दिखावे की कोई खोल नहीं.

6.हर पल में खुशी देती है मां,
अपनी ज़िंदगी से जीवन देती है मां,
भगवान क्या है, मां की पूजा करो,
क्योंकि भगवान को भी जन्म देती है मां.

7.ज़रूरत भर का तो खुदा सब को देता है,
परेशान लोग इस वास्ते है कि बेपनाह मिले.

8.संस्कार ‘गर अच्छे हों,
संस्कृति का हो जाए विकास,
अन्यथा सारे समाज का,
होता मूल से ही ह्रास.

9.न कोई राह आसान चाहिए,
न कोई मंज़िल पास चाहिए,
एक ही चीज़ मांगते हैं रोज़ उस रब से,
अपनों के चेहरे पर हर पल प्यारी-सी मुस्कान चाहिए

10.जिसके सामने आप खुलकर हंस सकते हैं,
उसके साथ आप पूरा एक दिन बिता सकते हैं,
जिसके सामने आप खुलकर रो सकते हैं,
उसके साथ आप अपनी पूरी ज़िंदगी बिता सकते हैं.

11.अनुभव कहता है
खामोशियां ही बेहतर हैं,
शब्दों से लोग रूठते बहुत हैं.

12.समझनी है जिंदगी तो पीछे देखो,
जीनी है जिंदगी तो आगे देखो.

13.किसी ने जब ये पूछा, कि संसार का ऐसा कौन सा न्यायालय है ,
जहां सारे पाप, सारी गलतियां क्षण भर में माफ़ की जाती है ?
एक बच्चे ने मुस्कुरा कर कहा …… ” मेरी मां का ह्रदय “

14.कोई व्यक्ति कितना भी व्यस्त हो,
अगर आपसे सच्चा प्यार करता है,
तो वह हमेशा आपके लिए समय निकाल ही लेता है.

15.सवेरे उनके लिए नहीं होते जो ज़िंदगी में,
कुछ भी पाने की उम्मीद छोड़ चुके हैं,
उजाला तो उनका होता है जो बार-बार,
हारने के बाद भी कुछ पाने की उम्मीद रखें.

16.कामयाबी बड़ी नहीं, पाने वाले बड़े होते हैं,
जख्म बड़े नहीं भरने वाले बड़े होते हैं,
इतिहास के हर पन्ने पर लिखा है,
दोस्ती बड़ी नहीं, निभाने वाले बड़े होते हैं.

17.फव्वारे के छिद्र खुलें तो,
बह निकलती है अविरल जलधार,
मन के छिद्र खुलें तो,
होती प्रस्फुटित प्रेम की अनवरत रसधार.

18.कैसे आकाश में सूराख़ हो नहीं सकता
एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो

19.जो कुछ भी मैंने खोया, वह मेरी नादानी है,
जो कुछ भी मैंने पाया, वह रब की मेहरबानी है

20.कभी उन चीजों के बारे में न सोचें,
जो ईश्वर से प्रार्थना करने के बाद भी हमें नहीं मिलीं.,
बल्कि उन अनगिनत चीजों को देखें,
जो बिना प्रार्थना के ईश्वर ने हमें प्रदान की हैं.

21.वक्त, ऐतबार और इज्जत ऐसे परिंदे हैं,
जो एक बार उड़ जाएं, तो वापिस नहीं आते

22.जिंदगी मुश्किल नहीं है, साहस की ललकार है,
इसे साहस से संभालिए, यह समय की पुकार है.

23.समस्याएं इतनी ताकतवर नहीं हो सकतीं,
जितना हम उन्हें मान लेते हैं,
ऐसा कभी नहीं हुआ,
कि अंधेरों ने सुबह ही न होने दी हो,
चाहे कितनी भी काली रात हो,
उसके बाद सुबह तो होनी ही है.

24.हर व्यक्ति किसी न किसी बात में मुझसे बेहतर होता है
और मैं उसी से यह बात सीख लेता हूं.

25.दो चीजों की गिनती करना छोड़ दो,
खुद का दुःख,
दूसरों का सुख,
जिंदगी आसान हो जाएगी.

26.जो लोग दूसरों को अपनी दुआओं में शामिल करते हैं,
खुशियां सबसे पहले उनके दरवाजे पर दस्तक देती हैं.

27.न थके कभी पैर न हिम्मत हारी है,
जज्बा है परिवर्तन का ज़िंदगी में,
इसलिये सफर जारी है.

28.चिराग डसती हुई आंधियाँ भी आयेंगी,
अगर सफर है तो दुश्वारियाँ भी आयेंगी,
अभी तो नाव किनारे है, फैसला न कर,
जरा बढ़ोगे तो गहराइयाँ भी आयेंगी,
मैं मौसम का थका हूँ, मुझे हकीर न जान,
मेरे शजर में कभी पत्तियाँ भी आयेंगी,
मुझे करीब से पढ़ सरसरी नजर से न देख,
मेरी किताब में दिलचस्पियाँ भी आयेंगी.
(हकीर=बेचारा, शजर=सूखा पेड़)

29.हौसला मत हार गिरकर ऐ मुसाफिर,
ग़र दर्द यहां मिला है, तो दवा भी यहीं मिलेगी

30.अच्छे लोगों का हमारी जिंदगी में आना,
हमारी तकदीर होती है,
और उन्हें संभालकर रखना हमारा हुनर.

31.स्वीकार करने की हिम्मत..और..
सुधार करने की नीयत हो..तो..
इंसान अपनी भूल में से भी…बहुत कुछ सीख सकता है.

प्रस्तुत है पाठकों के और हमारे प्रयास से सुसज्जित विशेष सदाबहार कैलेंडर. कृपया अगले विशेष सदाबहार कैलेंडर के लिए आप अपने अनमोल वचन भेजें. जिन भाइयों-बहिनों ने इस सदाबहार कैलेंडर के लिए अपने सदाबहार सुविचार भेजे हैं, उनका हार्दिक धन्यवाद.

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https://www.sadabaharcalendar.com/

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “विशेष सदाबहार कैलेंडर- 168

  • लीला तिवानी

    आज का अनमोल वचन–
    जब हम अकेले हों तो अपने विचारों को संभालें,
    जब हम सबके बीच हों तो अपने शब्दों को संभालें.

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