उनकी पहली शायरी
उनकी अनमोल क्षमता,
कड़ी लगन
और शब्दों की कला की
एक विशिष्ट शैली थी,
जिसने बहुत जल्दी
और बहुत अच्छी तरह से
जनता के बीच
लोकप्रिय बना दिया।
राहत साहेब ने
बहुत जल्दी ही
लोगों के दिलों में
अपने लिए
एक खास जगह बना लिया
और तीन से चार साल के भीतर ही
उनकी कविता की खुशबू ने
उन्हें उर्दू साहित्य की
दुनिया में
एक प्रसिद्ध शायर बना दिया था।
वह न सिर्फ पढ़ाई में प्रवीण थे,
बल्कि खेलकूद में भी प्रवीण थे,
वे स्कूल और कॉलेज स्तर पर
फुटबॉल और हॉकी टीम के
कप्तान भी थे।
वह केवल 19 वर्ष के थे,
जब उन्होंने
अपने कॉलेज के दिनों में
अपनी पहली शायरी सुनाई थी।