मुझको यह विश्वास नहीं है
आज सभी हैं पास तुम्हारे कोई मेरे पास नहीं है.
लेकिन कल भी ऐसा होगा मुझको यह विश्वास नहीं है.
तुम चाहो तो सूरज निकले
तुम चाहो तो चंदा आए.
पवन तुम्हारी अनुमति के बिन
कोई पता नहीं डुलाए.
आज सभी हैं दास तुम्हारे कोई मेरा दास नहीं है.
लेकिन कल भी ऐसा होगा मुझको यह विश्वास नहीं है.
लिखते लोग प्रशस्ति तुम्हारी
जगह जगह पर हों चर्चाएं.
और तुम्हारे अभिनंदन में
आयोजित हो रोज़ सभाएं.
आज सभी हैं ख़ास तुम्हारे कोई मेरा ख़ास नहीं है.
लेकिन कल भी ऐसा होगा मुझको यह विश्वास नहीं है.
तुम चाहे जैसा भी बोलो
आज सभी हो जाते राज़ी.
कोई पीसे कोई काटे
तुम्हीं जीतते हो हर बाज़ी.
आज सभी हैं ताश तुम्हारे कोई मेरा ताश नहीं है.
लेकिन कल भी ऐसा होगा मुझको यह विश्वास नहीं है.
डॉ. कमलेश द्विवेदी
कानपुर
मो.9140282859