ग़ज़ल
वक्त बदला तो सूरत बदल जाएगी।
एक दिन ये जवानी भी ढल जाएगी।
खुद पे इतना न इतराइये अनवरत,
रफ्ता रफ्ता कहानी बदल जाएगी।
ज़िन्दगी की कहानी है डगमग ज़रा,
रब ने चाहा तो फिरसे संभल जाएगी।
एक पल को भी गाफिल ज़रा जो हुए,
हाथसे फिर सफलता फिसल जाएगी।
ज़िन्दगी मौत की है अमानत हमीद,
मौत इक दिनसभी को निगल जाएगी।
— हमीद कानपुरी