कविता

टीस और सीख

2020 के आने के साथ
पीछे पीछे कोरोना भी चला आया
सब कुछ अव्यवस्थित हो गया,
लोग घरों में कैद हो गये।
व्यवसाय,नौकरी, शिक्षा
सबकुछ ध्वस्त हो गया
मजदूर/गरीब लाचार हो गए
अपनों से मिलने की चाह में
सड़कों पर आ गये।
जाने कैसे कैसे घर पहुंचे
तो कुछ खुदा को भी प्यारे हो गये
शादी ब्याह अधर में फँस गये।
बहुतों को जीवन भर की
टीस दे गया,
बेटा बाप को मुखाग्नि से भी
वंचित रह गया।
कहने को बहुत कुछ है
क्या क्या कहें?
देश दस बीस साल पीछे हो गया,
पर हमें बहुत कुछ सीख भी दे गया।
हमें से जीने,संयम से रहने की
सीख भी देकर
फिजूलखर्ची से बचने की
राह खोल गया।
वोकल से लोकल का भाव बढ़ गया
हमें अपनी जिम्मेदारी बता गया।
जीवन में अद्भुत प्रयोग हो गया
हम सबके लिए 2020
बड़ी सीख दे गया।
अब हमारी भी जिम्मेदारी है
हम भी अपने जीने का अंदाज बदलें
संयम,संतुलन और सबके साथ
प्रेम भाव रखें,
उच्श्रृंखलता और फिजूलखर्ची से बचें
अपने लिए ही नहीं
सबके हित का भाव बनाए रखें।
बरबादी और उदंडता से बचे
खुद तो खुश रहना ही है
सबको खुश रखने के
नये मार्ग का आधार रखें,
जीवन में मधुर संगीत बिखेरें
नया नया राग रखें
खुद खुश रहें
औरों के भी खुशियों का
आधार रखें।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921