सदाबहार काव्यालय: तीसरा संकलन- 25
जसवंत सिंह की अमर कहानी (गीत)
सुनो सुनो ऐ दुनियावालो जसवंत सिंह की अमर कहानी
कभी न देखा-सुना किसी ने ऐसा रणबांका बलिदानी-
1.उत्तराखंड के ग्राम-बाड्यूं ने ऐसे वीर को जन्म दिया,
19 अगस्त 1941 को जसवंत सिंह ने धन्य किया,
देशप्रेम की लगी लगन तो सेना की ओर रुख किया,
सेना ने भी सेनानी की लगन को सादर नमन किया,
लड़ते-लड़ते जसवंत सिंह जी बन गए वीर अमर बलिदानी.
सुनो सुनो ऐ दुनियावालो जसवंत सिंह की अमर कहानी.
2, 14 सितंबर 61 को जसवंत ने ट्रेनिंग पूरी की,
17 नवंबर 62 को चीन-सैन्य ने बड़ी मगरूरी की,
अरुणाचल की सीमा पर उसने पुरजोर चढ़ाई की,
यहीं जसवंत सिंह रावत ने अपनी वीरता दिखलाई थी,
लड़ते-लड़ते यहीं बनी थी जसवंत सिंह की अमर कहानी
सुनो सुनो ऐ दुनियावालो जसवंत सिंह की अमर कहानी.
3.युद्ध में वीरता दिखलाकर चीनी मशीनगन को था छुड़ाया,
तीन दिनों तक लड़े अकेले चीन-सैन्य को बहुत छकाया,
चीन का अरुणाचल को जीतना संभव नहीं था हो पाया,
72 घंटे लड़े निरंतर 300 चीनी जवानों को मौत की नींद सुलाया,
अपना शीश काट खुद ही फिर बन गए अमर वीर बलिदानी,
सुनो सुनो ऐ दुनियावालो जसवंत सिंह की अमर कहानी.
4.एकमात्र वे बलिदानी जो स्वर्गवासी नहीं हैं कहलाते,
एकमात्र वे बलिदानी जिनकी जयंती हम सभी मनाते,
एकमात्र वे बलिदानी जो अब भी पूरा वेतन पाते,
एकमात्र वे बलिदानी जो मृत्योपरांत भी पदोन्नति पाते,
मरणोपरांत बने मेजर जनरल औ’ महावीर चक्र के सम्मानी,
सुनो सुनो ऐ दुनियावालो जसवंत सिंह की अमर कहानी.
5.कटे शीश को ले गए चीनी जश्न वहां पर खूब मनाया,
पता लगा जब लड़े अकेले तीन दिनों हमें समझ न आया,
हमने सोचा पूरी बटालियन ने है यह अभियान चलाया,
जाने कैसे युद्ध-कौशल से जसवंत ने है हमें हराया,
सहित सम्मान शीश लौटाया जसवंत बने अमर बलिदानी,
सुनो सुनो ऐ दुनियावालो जसवंत सिंह की अमर कहानी.
-लीला तिवानी
जसवंत सिंह जी की विस्तृत जानकारी के लिए लिंक-
https://pragyasahitya.page/article/jasavant-sinh-raavat/6mUEls.html
‘प्राज्ञ साहित्य’ प्रकाशन ने प्रबुद्ध कविवर श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के जन्मदिन के अवसर पर कविता के लिए सम्मान पत्र की सूची जारी की थी, जिसमें हमारा भी नाम है. अब उन्होंने सम्मान पत्र जारी किया है-
कवि मनोरंजन प्रसाद सिंह की कविता ‘सब कहते हैं कुँवर सिंह भी बड़ा वीर मर्दाना था’ की तरह की प्रस्तुत कविता है। लीला दी को बधाई और प्रणाम🙏
आदरणीय लीला दीदी,सादर प्रणाम। लम्बे अंतराल के बाद आप की रचना पढ़ी।
बहुत सुन्दर। वीर रस से सराबोर।
अपना ब्लॉग पर आप का इन्तजार हैं।
सादर
चंचल जैन
लीला बहिन जी इस समय ऐसी जगह पर हैं जहाँ नेट की सुविधा अच्छी नहीं है। इसलिए वे हमारे सम्पर्क में नहीं हैं। वैसे सकुशल हैं। वहाँ से लौटते ही फिर सक्रिय हो जायेंगी, ऐसी सूचना मिली है।
सादर धन्यवाद।
‘प्राज्ञ साहित्य’ प्रकाशन को हमारी कविताएं बहुत पसंद आई थीं, इसलिए उन्होंने हमसे अमर शहीद जसवंत सिंह जी पर एक काव्य-रचना लिखने का आग्रह किया था. वही रचना गीत के रूप में आपके समक्ष प्रस्तुत है. अमर शहीद जसवंत सिंह जी की विस्तृत जानकारी के लिए हमने आपके समक्ष लिंक भी प्रस्तुत किया है, क्योंकि उनके साहस का कैनवास इस एक गीत से कहीं बहुत विस्तृत है.