पश्चिम के सूरदास
महान भाषाविज्ञानी लुई ब्रेल के जन्मदिवस पर उन्हें सादर स्मरण ! पश्चिम के लुई ब्रेल पूरब के संतकवि सूरदास की भांति जन्म से दृष्टिहीन थे, किन्तु अपने चारों ओर फैले अंधियारे को सूरदास की महान कृति ‘सूरसागर’ की भांति ‘ब्रेल लिपि’ यानी दृष्टिहीन ‘से दिव्यांगों को शिक्षा ज्ञान की शैली व पाठशाला अन्वेषित कर अप्रत्याशित क्रांति का अनावरण कर दिए।
उस समय उन्हें काफी परेशानी हुआ था, लेकिन आज संसार के लाखों दृष्टिहीन बंधुओं के लिए अप्रतिम रोशनी लेकर आये थे वे । आज (4 जनवरी) इस भाषाविज्ञानी का जन्मदिवस है । अनंत श्रद्धांजलि । ध्यातव्य है, ब्रेल सर की पुण्य तिथि मात्र 2 दिन बाद 6 जनवरी को ही है।