बोधकथा

पश्चिम के सूरदास

महान भाषाविज्ञानी लुई ब्रेल के जन्मदिवस पर उन्हें सादर स्मरण ! पश्चिम के लुई ब्रेल पूरब के संतकवि सूरदास की भांति जन्म से दृष्टिहीन थे, किन्तु अपने चारों ओर फैले अंधियारे को सूरदास की महान कृति ‘सूरसागर’ की भांति ‘ब्रेल लिपि’ यानी दृष्टिहीन ‘से दिव्यांगों को शिक्षा ज्ञान की शैली व पाठशाला अन्वेषित कर अप्रत्याशित क्रांति का अनावरण कर दिए।

उस समय उन्हें काफी परेशानी हुआ था, लेकिन आज संसार के लाखों दृष्टिहीन बंधुओं के लिए अप्रतिम रोशनी लेकर आये थे वे । आज (4 जनवरी) इस भाषाविज्ञानी का जन्मदिवस है । अनंत श्रद्धांजलि । ध्यातव्य है, ब्रेल सर की पुण्य तिथि मात्र 2 दिन बाद 6 जनवरी को ही है।

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.