पुस्तक समीक्षाविविध

चिन्तन से समाधान का रास्ता खोजता काव्य संग्रह अपना अपना जीवन

कवि हिमांशु जोशी जी का जन्म 27 जून 1975 को पिथौरागढ़ के पोखरी गांव में हुआ है तथा वह वर्तमान में पशुधन प्रसार अधिकारी के पद पर चम्पावत में कार्यरत रहते हुए साहित्य साधना में लीन हैं कवि के लेखन का आरम्भ नब्बे के दशक में हुआ।कादम्बिनी 1999 में छपी स्वप्न कविता ने नयी ऊर्जा दी कवि का पहला काव्य संकलन 2012 दूसरा 2013 में और तीसरा अब आया है।जिसमें कवि की परिपक्वता के दर्शन होते हैं।

अपना अपना जीवन पिछले एक दशक में लिखी गई कविताओं का संग्रह है। जिसको जन्मदायिनी प्रथम शिक्षिका मां को समर्पित किया गया है।कवि ने पुस्तक समर्पित करते हुए महर्षि वाल्मीकि विरचित रामायण की लोकप्रिय पंक्ति जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी का उल्लेख किया है जो वर्तमान परिस्थितियों में पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक भी है।मां को सर्मपण कर कुछ ऋण ही चुकाया है।

आज आधुनिकीकरण और विकास की अन्धी दौड़ में न पुराना समय रह गया है न पहले जैसे संयुक्त परिवार और न ही पहले जितनी जगह जहां बच्चे खेल सकें।भूमण्डलीकरण के दौर में जहां हर व्यक्ति स्वंय में ही इतना मस्त और व्यस्त हो गया है कि उसे अपने पड़ोस में रहने वाले व्यक्ति का नाम तक नहीं मालूम।वहां पहले जैसी बच्चों की कल्पना करना भी निरर्थक ही प्रतीत होता है।यह तो रही बच्चों की बात…….।बच्चों की दुनियां से निकलकर यदि हम बड़ों की दुनियां में चलें तो पता चलेगा कि बड़ों की दुनिया भी संक्रमण काल से गुजर रही है।यहां के निवासी बदले तो हैं ही बेहतर जीवन की खोज में अधिकांश शहरों में हैं।कुछ येन केन कारणों से गांव लौट रहे हैं पर उनकी संख्या कम है।कवि ने यह सब स्वंय अनुभव कर पुस्तक की भूमिका में लिखा है।साथ ही संग्रह की कविताएं इस सबको लेकर उसकी चिन्ता को सामने भी रख रही हैं।चिन्तन से समाधान का रास्ता खोजना कवि की विशेषता है।उसकी रचनाओं में रचा बसा है।

पुस्तक में कुल चौंतीस कविताएं संग्रहित हैं।महत्वपूर्ण कविताओं में बचपन की यादें, घर,, परिवर्तन एक बूंद पानी की, वो दिन पुराने, वसन्त आ गया ह,ै हां वही शहर है, वो कहते हैं गांव का विकास हो रहा है व संग्रह शीर्षक कविता अपना अपना जीवन का नाम लिया जा सकता है।

संग्रह की पहली कविता मां की सार्थकता को सिद्व करने का प्रयास है देखिए कुछ पंक्तियां –

उंगली पकड़ चलना सिखलाया तुमने

जीवन का पहला पाठ पढ़ाया तुमने

मेरी नन्हीं उड़ान का आसमां हो तुम

इसलिए कि मेरी मां हो तुम।

आज परिवेशगत हो चुके परिवर्तनों के मध्य कवि ने अपने बचपन को कुछ यूं स्वीकारा है अपनी बचपन की यादें कविता में –

छोटे-छोटे बच्चों का चिन्तामुक्त हो खेलना

जर्जर हो रहे वृद्वों का भी हृदय लुभाती है।

अब यह बात भिन्न है कि –

बचपन की खट्टी मीठी यादों को

कोई याद रखता है जीवन भर…..

और कोई बचपन के साथ ही भूल जाता है।

आज हम अपने आस पास नजर दौड़ाएं तो बड़े-बड़े कंकरीट के जंगलों ने प्राकृतिक जंगलों का स्थान ले लिया है।जिन्हें हम घर कहते हैं पर कवि के घर की कल्पना कुछ इस प्रकार है उसकी घर कविता में देखिए –

सीमेन्ट की दीवारों लकड़ी के दरवाजों खिड़कियों

से बने ढांचे मात्र को,

निश्चित ही घर नहीं कहते

घर को घर बनाने में

अनेकानेक भावनाओं का

समावेश होना आवश्यक है।

पहाड़ की पहचान आधुनिकता व नगरीकरण की दौड़ ले डूबी नाम दे दिया परिवर्तन का पर कवि की परिवर्तन कविता देखिए –

परिवर्तन की आंधी ने

छीन ली घराटों की आवाज

उड़ा दी मिट्टी की सोंधी सी महक

जला दिए जंगल सभी

फीकी कर दी तीज त्यौहारों की चमक।

कभी मैने कहानी पढ़ी थी अपना अपना भाग्य यहां पर कवि ने आजादी के सात दशक बाद भी जीवन की विसंगति उसमें भरे अन्तर को अपनी अपना अपना जीवन कविता में दिखाया है-

पर अगले ही क्षण सोचता हूं कि

अच्छा है हमारा जीवन

इन तथाकथित धनवानों से

जिनके पास –

धन तो है पर मन नहीं है

और

हृदय में निर्धनता समेटे

इन धनवानों का जीवन

जीवन नहीं है।

आज का समय दिनचर्या और रहन सहन पड़ोस समाज कितना बदल गया है कवि ने अपनी कविता वो दिन पुराने में दर्शाया है –

वो दिन पुराने अच्छे थे

जब हम घरों में रहते थे

कितना भी, कैसा भी दुख हो

संयुक्त रूप से सहते थे।

आज –

घरों को छोड़कर हम

आ गये हैं मकानों में।

दूर हो गए हैं रिश्तों और समाज से

किसी की दर्द भरी आवाज भी जहां

पड़ती नहीं हमारे कानों में।

कभी वसंत का आगमन प्रकृति के हंसने मुस्कराने का अवसर होता था।कोयल का गान अजब तान छेड़ता था आज सब कुछ पहले सा नहीं रहा कवि ने कविता वसन्त आ गया है में अनुभव कराया है।देखिए –

जहां न प्रकृति है

न चिड़ियों के बसेरे

न ऋतु की मादकता

न वृक्ष ही घनेरे

फिर वहां कैसे होगा आभास

कि वसन्त आ गया है ?

कवि आशान्वित है कि फिर पहले से दिन आएंगे।धरा हो या गगन पूर्ववत मुस्कराएंगे।समाज या परिवेश या हो संस्कारशाला सार्थकता देंगे।ऐसी ही संभावनाओं को खोजती कवि की रचना जब ….की पंक्तियां देखिए –

जब संस्कारों की पाठशाला

घर से आरम्भ होती थी

जब बच्चे को सूखा आसन दे

मां गीले में सोती थी

जब था घर संयुक्त हमारा

सभी उसी में रहते थे

जब सब अपने दिल की बातें

एक -दूजे से कहते थे।

आज जिस तरह से देश में विकास को लेकर चर्चा होती है उस पर कवि चुप न रहा उसकी कविता वो कहते हैं गांव का विकास हो रहा है…… की पंक्तियां देखिए –

बेटा गया है दूर रोटी की तलाश में

पथरा गई हैं बूढ़ी आंखें

उसके लौटने की आस में

रोटी की खातिर वो बुढ़ापे में बोझ ढो रहा है

वो कहते हैं गांव का विकास हो रहा है…..।

बदलती शिक्षा व्यवस्था के मध्य कवि ने अपने स्कूल के दिन कुछ यूं स्मरण किए

भय था कोई गुरूजी का

या मन में कोई श्रृद्वा थी

वो झूठ मूठ का करके बहाना

स्कूल न जाना अच्छा था

इस बोझ भरे जीवन से तो

स्कूल का बस्ता अच्छा था।

इसके अलावा भी कई कविताएं मन को उद्वेलित करने में समर्थ हैं चिन्ता तो व्यक्त करती ही हैं चिन्तन से समस्या के समाधान का सन्देश भी देती हैं।वरिष्ठ कवि प्रकाश चन्द्र जोशी शूल की प्रेरणा से अपना अपना जीवन कवि की तीसरा काव्य संग्रह उसे यशस्वी बनाने में समर्थ है ऐसी धारणा इसके अवलोकन से स्वतः बन जाती है।उत्कर्ष प्रकाशन दिल्ली द्वारा पेपर बैक में मुद्रण सहित आकर्षक कवर व छपाई में कृति का मूल्य एक सौ रुपये उचित ही है।बधाई

 

शशांक मिश्र प्रवक्ता संस्कृत राइका टनकपुर चंपावत उत्तराखण्ड व संपादक देवसुधा हिन्दी सदन बड़ागांव शाहजहांपुर 242401 उ0प्र0

*शशांक मिश्र भारती

परिचय - शशांक मिश्र भारती नामः-शशांक मिश्र ‘भारती’ आत्मजः-स्व.श्री रामाधार मिश्र आत्मजाः-श्रीमती राजेश्वरी देवी जन्मः-26 जुलाई 1973 शाहजहाँपुर उ0प्र0 मातृभाषा:- हिन्दी बोली:- कन्नौजी शिक्षाः-एम0ए0 (हिन्दी, संस्कृत व भूगोल)/विद्यावाचस्पति-द्वय, विद्यासागर, बी0एड0, सी0आई0जी0 लेखनः-जून 1991 से लगभग सभी विधाओं में प्रथम प्रकाशित रचना:- बदलाव, कविता अक्टूबर 91 समाजप्रवाह मा0 मुंबई तितली - बालगीत, नवम्बर 1991, बालदर्शन मासिक कानपुर उ0प्र0 -प्रकाशित पुस्तकें हम बच्चे (बाल गीत संग्रह 2001) पर्यावरण की कविताएं ( 2004) बिना बिचारे का फल (2006/2018) क्यो बोलते है बच्चे झूठ (निबध-2008/18)मुखिया का चुनाव (बालकथा संग्रह-2010/2018) आओ मिलकर गाएं(बाल गीत संग्रह 20011) दैनिक प्रार्थना(2013)माध्यमिक शिक्षा और मैं (निबन्ध2015/2018) स्मारिका सत्यप्रेमी पर 2018 स्कूल का दादा 2018 अनुवाद कन्नड़ गुजराती मराठी संताली व उड़िया में अन्यभाषाओं में पुस्तकें मुखिया का चुनाव बालकथा संग्रह 2018 उड़िया अनुवादक डा0 जे.के.सारंगी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन -जून 1991 से हास्य अटैक, रूप की शोभा, बालदर्शन, जगमग दीपज्योति, देवपुत्र, विवरण, नालन्दा दर्पण, राष्ट्रधर्म, बाल साहित्य समीक्षा, विश्व ज्योति, ज्योति मधुरिमा, पंजाब सौरभ, अणुव्रत, बच्चों का देश, विद्यामेघ, बालहंस, हमसब साथ-साथ, जर्जर कश्ती, अमर उजाला, दैनिक जनविश्वास, इतवारी पत्रिका, बच्चे और आप, उत्तर उजाला, हिन्दू दैनिक, दैनिक सबेरा, दै. नवज्योति, लोक समाज, हिन्दुस्तान, स्वतंत्र भारत, दैनिक जागरण, बालप्रहरी, सरस्वती सुमन, बाल वाटिका, दैनिक स्वतंत्र वार्ता, दैनिक प्रातः कमल, दैं. सन्मार्ग, रांची एक्सप्रेस, दैनिक ट्रिब्यून, दै.दण्डकारण्य, दै. पायलट, समाचार जगत, बालसेतु, डेली हिन्दी मिलाप उत्तर हिन्दू राष्ट्रवादी दै., गोलकोण्डा दर्पण, दै. पब्लिक दिलासा, जयतु हिन्दू विश्व, नई दुनिया, कश्मीर टाइम्स, शुभ तारिका, मड़ई, शैलसूत्रं देशबन्धु, राजभाषा विस्तारिका, दै नेशनल दुनिया दै.समाज्ञा कोलकाता सहित देश भर की दो सौ से अधिक दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक, द्वैमासिक, त्रैमासिक, अर्द्धवार्षिक व वार्षिक पत्र-पत्रिकाओं में अनवरत। अन्तर जाल परः- 12 अगस्त 2010 से रचनाकार, साहित्य शिल्पी, सृजनगाथा, कविता कोश, हिन्दी हाइकु, स्वर्गविभा, काश इण्डिया ,मधेपुरा टुडे, जय विजय, नये रचनाकार, काव्यसंकलन ब्लाग, प्रतिलिपि साहित्यसुधा मातृभाषाडाटकाम हिन्दीभाषा डाटकाम,युवाप्रवर्तक,सेतु द्विभाषिक आदि में दिसम्बर 2018 तक 1000 से अधिक । ब्लागसंचालन:-हिन्दी मन्दिरएसपीएन.ब्लागपाट.इन परिचय उपलब्ध:-अविरामसाहित्यिकी, न्यूज मैन ट्रस्ट आफ इण्डिया, हिन्दी समय मा. बर्धा, हिन्दुस्तानी मीडियाडाटकाम आदि। संपादन-प्रताप शोभा त्रैमा. (बाल साहित्यांक) 97, प्रेरणा एक (काव्य संकलन 2000), रामेश्वर रश्मि (विद्यालय पत्रिका 2003-05-09), अमृतकलश (राष्ट्रीय स्तर का कविता संचयन-2007), देवसुधा (प्रदेशस्तरीय कविता संचयन 2009),देवसुधा (अ भा कविता संचयन 2010), देवसुधा-प्रथम प्रकाशित कविता पर-2011,देवसुधा (अभा लघुकथा संचयन 2012), देवसुधा (पर्यावरण के काव्य साहित्य पर-2013) देवसुधा पंचम पर्यावरणविषयक कविताओं पर 2014 देवसुधा षष्ठ कवि की प्रतिनिधि काव्यरचना पर 2014 देवसुधा सात संपादकीय चिंतन पर 2018 सह संपादन लकड़ी की काठी-दो बालकविताओं पर 2018 आजीवन.सदस्य/सम्बद्धः-नवोदित साहित्यकार परिषद लखनऊ-1996 से -हमसब साथ-साथ कला परिवार दिल्ली-2001 से -कला संगम अकादमी प्रतापगढ़-2004 से -दिव्य युग मिशन इन्दौर-2006 से -नेशनल बुक क्लव दिल्ली-2006 से -विश्व विजय साहित्य प्रकाशन दिल्ली-2006 से -मित्र लोक लाइब्रेरी देहरादून-15-09-2008 से -लल्लू जगधर पत्रिका लखनऊ-मई, 2008 से -शब्द सामयिकी, भीलबाड़ा राजस्थान- -बाल प्रहरी अल्मोड़ा -21 जून 2010 सेव वर्जिन साहित्य पीठ नई दिल्ली 2018 से संस्थापकः-प्रेरणा साहित्य प्रकाशन-पुवायां शाहजहांपुर जून-1999 सहसंस्थापक:-अभिज्ञान साहित्यिक संस्था बड़ागांव, शाहजहांपुर 10 जून 1991 प्रसारणः- फीबा, वाटिकन, सत्यस्वर, जापान रेडियो, आकाशवाणी पटियाला सहयोगी प्रकाशन- रंग-तरंग(काव्य संकलन-1992), काव्यकलश 1993, नयेतेवर 1993 शहीदों की नगरी के काव्य सुमन-1997, प्रेरणा दो 2001 प्यारे न्यारे गीत-2002, न्यारे गीत हमारे 2003, मेरा देश ऐसा हो-2003, सदाकांक्षाकवितांक-2004, सदाकांक्षा लघुकथांक 2005, प्रतिनिधि लघुकथायें-2006, काव्य मंदाकिनी-2007, दूर गगन तक-2008, काव्यबिम्ब-2008, ये आग कब बुझेगी-2009, जन-जन के लिए शिक्षा-2009, काव्यांजलि 2012 ,आमजन की बेदना-2010, लघुकथा संसार-2011, प्रेरणा दशक 2011,आईनाबोलउठा-2012,वन्देमातरम्-2013, सुधियों के पल-2013, एक हृदय हो भारत जननी-2015,काव्यसम्राटकाव्य एवं लघुकथासंग्रह 2018, लकड़ी की काठी एक बालकाव्य संग्रह 2018 लघुकथा मंजूषा दो 2018 लकड़ी की काठी दो 2018 मिली भगत हास्य व्यंग्य संग्रह 2019 जीवन की प्रथम लघुकथा 2019 आदि शताधिक संकलनों, शोध, शिक्षा, परिचय व सन्दर्भ ग्रन्थों में। परिशिष्ट/विशेषांकः-शुभतारिका मा0 अम्बाला-अप्रैल-2010 सम्मान-पुरस्कारः-स्काउट प्रभा बरेली, नागरी लिपि परिषद दिल्ली, युगनिर्माण विद्यापरिषद मथुरा, अ.भा. सा. अभि. न. समिति मथुरा, ए.बी.आई. अमेरिका, परिक्रमा पर्यावरण शिक्षा संस्थान जबलपुर, बालकन जी वारी इण्टरनेशनल दिल्ली, जैमिनी अकादमी पानीपत, विन्ध्यवासिनी जन कल्याण ट्रस्ट दिल्ली, वैदिकक्रांति परिषद देहरादून, हमसब साथ-साथ दिल्ली, अ.भा. साहित्य संगम उदयपुर, बालप्रहरी अल्मोड़ा, राष्ट्रीय राजभाषा पीठ इलाहाबाद, कला संगम अकादमी प्रतापगढ़, अ. भा.राष्ट्रभाषा विकास संगठन गाजियाबाद, अखिल भारतीय नारी प्रगतिशील मंच दिल्ली, भारतीय वाङ्मय पीठ कोलकाता, विक्रमशिला विद्यापीठ भागलपुर, आई.एन. ए. कोलकाता हिन्दी भाषा सम्मेलन पटियाला, नवप्रभात जनसेवा संस्थान फैजाबाद, जयविजय मासिक, काव्यरंगोली साहित्यिक पत्रिका लखीमपुर राष्ट्रीय कवि चौपाल एवं ई पत्रिका स्टार हिन्दी ब्लाग आदि शताधिक संस्था-संगठनों से। सहभागिता-राष्ट्रीय- अन्तर्राष्टीय स्तर की एक दर्जन से अधिक संगोष्ठियों सम्मेलनों-जयपुर, दिल्ली, प्रतापगढ़, इलाहाबाद, देहरादून, अल्मोड़ा, भीमताल, झांसी, पिथौरागढ़, भागलपुर, मसूरी, ग्वालियर, उधमसिंह नगर, पटियाला अयोध्या आदि में। विशेष - नागरी लिपि परिषद, राजघाट दिल्ली द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर वरिष्ठ वर्ग निबन्ध प्रतियोगिता में तृतीय पुरस्कार-1996 -जैमिनी अकादमी पानीपत हरियाणा द्वारा आयोजित तीसरी अ.भा. हाइकु प्रतियोगिता 2003 में प्रथम स्थान -हम सब साथ-साथ नई दिल्ली द्वारा युवा लघुकथा प्रतियोगिता 2008 में सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुति सम्मान। -सामाजिक आक्रोश पा. सहारनपुर द्वारा अ.भा. लघुकथा प्रति. 2009 में सराहनीय पुरस्कार - प्रेरणा-अंशु द्वारा अ.भा. लघुकथा प्रति. 2011 में सांत्वना पुरस्कार --सामाजिक आक्रोश पाक्षिक सहारनपुर द्वारा अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता-2012 में सराहनीय पुरस्कार -- जैमिनी अकादमी पानीपत हरियाणा द्वारा आयोजित 16 वीं अ.भा. हाइकु प्रतियोगिता 2012 में सांत्वना पुरस्कार ,जैमिनी अकादमी पानीपत हरियाणा द्वारा आयोजित 24 वीं अ.भा. लघुकथा प्रतियोगिता 2018 में सांत्वना पुरस्कार सम्प्रति -प्रवक्ता संस्कृत:-राजकीय इण्टर कालेज टनकपुर चम्पावत उत्तराखण्ड स्थायी पताः- हिन्दी सदन बड़ागांव, शाहजहांपुर- 242401 उ0प्र0 दूरवाणी:- 9410985048, 9634624150 ईमेल [email protected]/ [email protected]