पर्यावरण

आडम्बरी मुक्ति और कृषिजन्य सौभाग्य का पर्व ‘मकर संक्रांति’

दकियानूसी आडम्बर लिए धनु राशि पर शनि महाराज विराजमान रहा है और इस तिथि को सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर रहा है । सूर्य को घेरे हैं, कुहासा, कुहरा जैसे आडंबर और ‘मकर संक्रांति’ इन आडम्बरों से मुक्ति दिलाकर सूर्य को तेजोदीप्त बनाता है । शनि विग्रह के लिए चूड़ा, दही, लाई या लाड़ू व्यंजन से वे प्रसन्न होते हैं । एक अलग मान्यतानुसार, इस समय समस्त उत्तर भारत के किसान फसलों की कटाई भी करते हैं।

‘नवान्न’ का त्योहार भी है यह । कुल मिलाकर भारतीय संस्कृति और धार्मिकता से जुड़ा यह त्योहार वैज्ञानिक दृष्टिकोण लिए हुए भी हैं । तभी तो पतंगबाज़ी भी कुहरा को छेदते हैं और सूर्य के शौर्य किरण का मार्ग प्रशस्त करते हैं । मकर से अर्थार्थ ‘मकड़ा’ से भी है, जो मकड़जाल के यथार्थ भी है और जिनसे दुरगामी प्रभाव भी निःसृत हैं । इस पर्व में कोई मंत्रजाप नहीं । ‘तिल’ भर की भी कीमत लिए है यह पर्व।

हिन्दू संस्कृति में तिल -तिल की खबर रखी जाती है और इनके लिए पूजा-अर्चना की जाती है। ‘तिलह-तिलह बद देना’ में हर बुजुर्गों की पीड़ा छिपी है कि वे अपने से छोटे व्यक्ति से खुद के बुढ़यापे तक सम्मान की अपेक्षा रखते हैं। बांग्ला में संक्रांति दिवस अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार प्रति अंग्रेजी माह की 14 तारीख को आते हैं या 17 को, फिर 14 जनवरी इसी के तत्वश: है । कभी -कभी यह 13 जनवरी को, तो कभी 15 जनवरी को भी ‘मकर संक्रांति’ मनाये जाते हैं । इसे संक्रांति या सक्रांति भी कहते हैं।

यूँ तो सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के संक्रमण-काल ‘मकर-संक्रांन्ति के नाम से जाना जाता है, तथापि कोई भी संक्रांति स्थापित वैज्ञानिकी-दृष्टिकोण से भी यह ‘खराब काल’ के रूप में विहित है, क्योंकि इस संक्रमण-काल में मौसमी-परिवर्त्तन देखने को मिलते हैं । चूँकि जाड़े की ऋतु ‘बसंती-ग्रीष्म’ की तरफ बढ़ने लगता है और वैसे भी ऐसे मौसमी-परिवर्त्तन पर कई तरह की बीमारियाँ होने का अन्देशा बढ़ जाता है।

जाड़े की मौसम से उफनाये ‘कब्ज़’  को लेकर हो अथवा इसे सनातन, सिख, गुजराती या पारसी धर्मावलंबियों द्वारा पूजा किये जाने की परम्परा लिए हो , परंतु ‘मकर-संक्रांति’ में चूड़ा-गुड़ अथवा लाड़ू या लाइ या गुड़-खिचड़ी या तिलकूट का सेवन कर एकतरफ मकर या शनि देवता को प्रसन्न करते हैं, तो दूसरी तरफ हम अपनी उदर-पीड़ा को शांत करते हैं । वैज्ञानिक-तथ्य भी है, रुखड़ा खाने से पेट साफ़ रहता है, चिकनाई चीजों को खाने की बनिस्पत!

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.