गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

अभी मर्ज़  की  कुछ  दवाई  नहीं है।
कहीं भी  ‌यूँ लाजिम ढिलाई  नहीं है।
मुखालिफ़  वही हैं  नई  योजना  के,
कि हिस्से  में जिनके मलाई  नहीं है।
नई  खूबियों  का  पता हो  भी कैसे,
नई  खेप   जिसने   उठाई  नहीं  है।
बहुत देर  तक साथ देगा  नहीं फिर,
जो कपड़े की उम्दा सिलाई नहीं है।
भला कह रहे क्यूँ हैं क़ानून कृषिका,
किसानोंकी जबकुछ भलाई नहीं है।
— हमीद कानपुरी

*हमीद कानपुरी

पूरा नाम - अब्दुल हमीद इदरीसी वरिष्ठ प्रबन्धक, सेवानिवृत पंजाब नेशनल बैंक 179, मीरपुर. कैण्ट,कानपुर - 208004 ईमेल - [email protected] मो. 9795772415