उत्तर प्रदेश 2022 विधानसभा चुनाव
उत्तर प्रदेश 2022 विधानसभा चुनाव जिस तरीके से नजदीक आ रहा है, राष्ट्रीय दल से लेकर क्षेत्रीय दल अपने बिसात फैलाने में आगे आ रहे है! सभी दल अभी से राजनीतिक समीकरण अपने अपने तरीके से साध रहे हैं,आम आदमी पार्टी की जिस तरीके से मीडिया एक महत्वपूर्ण विपक्ष के रूप में स्थान दे रही है जबकि स्पष्ट रूप से देखा जाए आम आदमी पार्टी का उत्तर प्रदेश में कोई भी जनाधार नहीं है! आम आदमी पार्टी के बड़े नेता दिल्ली विकास की मॉडल पेश करते हुए शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर बात कर रहे हैं!
उधर समाजवादी पार्टी के मुखिया माननीय अखिलेश यादव भी ताबड़तोड़ मेनहत से खुद की लड़ाई मजबूत बता रहे हैं, बसपा अपने पुराने ढर्रे पर चल रही है, अब बसपा की आगे की रणनीति क्या होगी,सभी पार्टी की निगाहें उसी पर टिकी है.. कांग्रेस पार्टी को नए प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू से नई उम्मीद होगी मगर जिस तरह से कांग्रेस का जनाधार गिर रहा है उससे लड़ाई की कोई बात ही नहीं है फिलहाल भाजपा अपने पुराने राजनीति पर चलते हुए 2019 में ही 2022 के मिशन की तैयारी कर रही हैं..
12 दिसंबर को जिस तरीके से पूर्वांचल में असदुद्दीन ओवैसी की जबरदस्त एंट्री हुई, प्रदेश राजनीति में जाति गठजोड़ की राजनीति में उभरे सुहेलदेव समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर और ओवैसी साहब कि गठबंधन राजनीति पंडितों के लिए सिरदर्द साबित हो सकता है! जौनपुर से लेकर आजमगढ़ तक जिस तरीके से भारी भीड़ ने सड़क पर उतर कर ओवैसी साहब का अभिवादन किया वह बेहद आश्चर्यजनक था उत्तर प्रदेश में लगभग 135 सीट पर अल्पसंख्यक वोटरों का जबरदस्त प्रभाव है! बिहार के चुनाव में अपार सफलता के बाद गदगद ओवैसी साहब अल्पसंख्यक वोटरों को रिझाने के लिए उत्तर प्रदेश में 4 दिन का कार्यक्रम रखा है,
ओवैसी के राजनीतिक कदम क्या उत्तर प्रदेश में हिंदू मुस्लिम वोटरों में विभाजित हो सकती है या फिर विकास की तरफ जाएगी, अल्पसंख्यक वोटरों पर समाजवादी पार्टी ,बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेश समेत अन्य छोटे छोटे दल अपना हक जताते हैं अब देखना है भविष्य की राजनीति क्या होती है, उत्तर प्रदेश की राजनीति किस तरफ करवट लेती है! !
— अभिषेक राज शर्मा