ग़ज़ल विधा के फनकार
वर्त्तमान समय में सम्पूर्ण भारत में हिंदी ‘ग़ज़ल’ विधा के महत्त्वपूर्ण व सशक्त हस्ताक्षर तथा बहराइच, उत्तर प्रदेश के रहवासी “आयुर्वेद चिकित्साधिकारी” डॉ. अशोक गुलशन मेरे ‘अग्रजसम’ हैं; उनकी ग़ज़ल भारत सहित कई देशों में गुनगुनायी जाती हैं। उन्हें सबसे लघुतम और वृहदतम ‘ग़ज़ल’ लेखन के लिए 3 दर्जन से अधिक रिकॉर्ड्स बुक और वेबसाइट ने अद्भुत “प्रमाण-पत्र” प्रदान की हैं, जो कि ‘विश्व कीर्तिमान’ लिए हैं।
डॉक्टर साहब की 3 दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हैं तथा उन्होंने भारत के प्रायः राज्यों में ग़ज़लों के मंचीय-पाठ तो किए ही हैं, साथ ही अनेक देशों की यात्राएं भी की हैं। वे सरल स्वभाव के हैं और आलोचनाओं से भी नहीं घबराते हैं। वैसे मेरा उनसे परिचय 30 वर्षों से भी अधिक समय लिए है, तथापि इधर सालभर से मुझे ‘बड़े भाई’ (डॉ. गुलशन सर) का अत्यधिक सान्निध्य मिल रहा है।
यही कारण है, पुस्तक-द्वय [1. पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद (शोध); 2. लव इन डार्विन (नाट्य पटकथा)] को डॉक्टर साहब ने बड़े मनोयोग से अपनी मानस में जगह दिए हैं। सादरापेक्षा है, पुस्तक-द्वय को लेकर आपकी लेखनी ‘एतद समीक्षार्थ’ लालायित हो रही होंगी! मकर संक्रांति उत्सव और गणतंत्र दिवसोत्सव की अनगिनत शुभकामनाओं के साथ आशा है कि आप इस नवदशक के प्रथम वर्ष 2020 में खूब ‘रिकॉर्ड’ बनाए, तो 2021 में खूब पुस्तक-प्रणयन करेंगे!