कण-कण में बस तुम दिखती हो
तुम्हें प्रेम हम करते कितना? इसका कोई माप नहीं है।
कण-कण में बस तुम दिखती हो, नाम का केवल जाप नहीं है।।
चाह नहीं है, हम तुम्हें पाएं।
हम तो गीत तुम्हारे गाएं।
हम तो तुम्हारे हर प्रेमी को,
अपना समझें गले लगाएं।
प्रेम वियोग है, जीवन पीड़ा, तुम हो पश्चाताप नहीं है।
कण-कण में बस तुम दिखती हो, नाम का केवल जाप नहीं है।।
नयन भले ही देख न पाएं।
अनुभूति से हम हरषाएं।
बाग-बाग हम हो जाते हैं,
समाचार तुम्हारे, हम सुन पाएं।
पीड़ा कितनी भी मिल जाए, हमको कोई ताप नहीं है।
कण-कण में बस तुम दिखती हो, नाम का केवल जाप नहीं है।।
स्वर सुनने को कान ये तरसे।
नयनों से भी अश्रु बरसे।
जहाँ हो तुम, आनंदित हो बस,
यही जानकर हियरा हरषे।
यादों के सहारे हम जी लेंगे, भले ही तुम्हारा साथ नहीं है।
कण-कण में बस तुम दिखती हो, नाम का केवल जाप नहीं है।।