उत्प्रेरक शिक्षकगण
प्रत्येक घर में बच्चों के मार्गदर्शक उनके अभिभावक होते हैं, तो वहीं विद्यालय में उन बच्चों के मार्गदर्शक शिक्षक होते हैं । शिक्षक अथवा अभिभावक सभी बच्चों के लिए उत्प्रेरक (catalyst) के कार्य करते हैं।
बच्चे विद्यालय में मात्र 6 घंटे रहते हैं, परंतु घर पर अपने अभिभावकों व माता, पिता, ताऊ, ताई, चाचा, चाची, दादा, दादी, अथवा नाना, नानी, मामा, मामी इत्यादि के साथ 18 घंटे व्यतीत करते हैं। घर पर 18 घंटे रहने के बावजूद इन बच्चों के द्वारा शिक्षकों की ही सर्वाधिक सुनी जाती है।
परंतु हाल के वर्षों में बच्चों में इस तरह के कर्त्तव्य-निर्वहन में कमी आई है, जो कि अभिभावकों के कारण है । चूँकि ये अभिभावक जहाँ रुपयों से डिग्री खरीदकर बच्चों को व्यवसाय आदि में संलग्न कर देते हैं, जिससे बच्चों में सेवा-भावना ख़त्म होती जा रही है, तब यही बच्चे कालान्तर में हमारे लिए मुसीबत का कारण बन जाते हैं।
ऐसे अभिभावकों को चाहिए, वे अपने बच्चों को अच्छे शिक्षकों से उत्प्रेरणा दिलाये, क्योंकि अच्छे शिक्षक उत्प्रेरक (catalyst) होते हैं।