कविता

दिल तो कभी मिला नहीं !

महिलाएँ अपने-अपने
‘वो’ को
‘जान’ कहती हैं,
तो ‘वर’ (पति) भी कहती हैं,
यानी घुमा -फिराकर
उस ‘वो’ को ‘जानवर’
कह ही डालती हैं !
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होता है
आध्यात्मिक सत्संग
और आते हैं
उद्घाटन को
वैसे ‘नेता’,
आध्यात्मिकता से
दूर तलक
नाता नहीं !
शायद उसने
चंदा जो ज्यादा दिए !
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टैलेंट की यहाँ पहचान
कहाँ हो रही है ?
सिरफ़….
सुंदर कपड़े,
मकान, गुंडई
और तमाशा
करनेवाले को ही
लोग पहचान रहे हैं !
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मनिहारी, अमदाबाद में
असफल रही
“मानव शृंखला” !
सिर्फ़ आधे घण्टे में
जनता की गाढ़ी कमाई के
करोड़ों राशि
‘सरकारी खजाने’ से फुर्र..
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जबतक रहेगा
समाज में ‘जाति’,
रहेगी तबतक भ्रांति;
न हो पाएगी
कोई क्रांति,
फिर अंत तक
नहीं मिलेगी शांति !
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बिहार अगर पूर्ण शिक्षित
और पूर्ण रोजगार वाला
राज्य हो जाता,
तो यह उत्साह की बात होती !
द मानव-शृंखला बवंडर !
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दिल तो कभी मिला नहीं,
फिर हाथ कैसे मिले ?
मानव-शृंखला में
कई जगह
यूँ ही खड़े थे लोग !

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.