यादें
बाद मुद्दतें तुम्हें मेरी याद अाई
शायद कोई निशानी मिल गई होगी मेरी
धुंधला गया था मैं तुम्हारी नजरों से
फिर से कोई कहानी याद आ गई होगी
भूल सकते हो मुझे तुम
पर उस दिल का क्या करोगे
जिसमें में बसा रसा था कभी
सागर में लहरें उठती रहती हैं
और कभी ले आती हैं
सागर के गरत से
कुछ बहुमूल्य रत्न
मैं रत्न तो नहीं
पर पत्थर भी नहीं
चलो याद अाई
यह कुछ कम नहीं मेरे लिए
मैं तू भूल बैठा था
खो गया था अपने आप मैं
फिर तुमने एक
हलचल मचा दी