यही तो जीवन है
खुली आंखों से जो देखा
वो सपने बन गए
बंद आंखों से जो देखा
वो सामने आ गए।
समझकर भी
न समझने की भूल की
निशा ने सूरज से
मिलना चाहा
पर ज्योंहि सूरज आया
निशा कहीं छुप गयी।
चुपके से कहा
अभी भी हूं तेरे साथ
महसूस कर मुझे
तेरे आगोश में छुपी हूं
जब तू सोएगा शाम में
मैं वापस आ जाऊंगी।
फिर छुप जाना तुम
मेरी आगोश में।
हमारी और तुम्हारी
चलती रहेगी आंख मिचौली
यहीं तो आना है
यहीं तो जाना है
यहीं तो रहना है
यही तो जीवन है