कविता

यही तो जीवन है

खुली आंखों से जो देखा
वो सपने बन गए
बंद आंखों से जो देखा
वो सामने आ गए।
समझकर भी
न समझने की भूल की
निशा ने सूरज से
मिलना चाहा
पर ज्योंहि सूरज आया
निशा कहीं छुप गयी।
चुपके से कहा
अभी भी हूं तेरे साथ
महसूस कर मुझे
तेरे आगोश में छुपी हूं
जब तू सोएगा शाम में
मैं वापस आ जाऊंगी।
फिर छुप जाना तुम
मेरी आगोश में।
हमारी और तुम्हारी
चलती रहेगी आंख मिचौली
यहीं तो आना है
यहीं तो जाना है
यहीं तो रहना है
यही तो जीवन है

श्याम सुन्दर मोदी

शिक्षा - विज्ञान स्नातक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से प्रबंधक के पद से अवकाश प्राप्त, जन्म तिथि - 03•05•1957, जन्म स्थल - मसनोडीह (कोडरमा जिला, झारखंड) वर्तमान निवास - गृह संख्या 509, शकुंत विहार, सुरेश नगर, हजारीबाग (झारखंड), दूरभाष संपर्क - 7739128243, 9431798905 कई लेख एवं कविताएँ बैंक की आंतरिक पत्रिकाओं एवं अन्य पत्रिकाओं में प्रकाशित। अपने आसपास जो यथार्थ दिखा, उसे ही भाव रुप में लेखनी से उतारने की कोशिश किया। एक उपन्यास 'कलंकिनी' छपने हेतु तैयार