पति क्यों परमेश्वर
अपने देश में पति को
परमेश्वर मानने की अवधारणा है,
अगर ‘पति’ आवारा हो,
मवाली हो,
नशेड़ी हो,
चोर हो,
पॉकेटमार हो,
आपको पीटते हों,
फिर भी वो परमेश्वर है,
क्यों ?
क्योंकि मेरी माँ भी
नानी से यह सबक लेकर आई हैं !
दरअसल,
परमेश्वर को पति मान लेने की
प्रार्थना से ही निकला है।
चूंकि स्त्री और पुरुष के
भाव जगत में
भिन्नता होती है,
इसलिए पुरुष
उस शक्ति स्वरूप में
हमेशा माँ को देखता है!
प्रेमिका अपनी आत्मा के
आधे टुकड़े की तलाश में
कभी उसे शिव
या कभी कृष्ण
या कभी राम में खोजती है
या इनके गुणों को
धारण करने वाले
व्यक्ति को खोजती हैं !
वास्तव में
प्रेम में डूबी औरत
सदा सुहागन ही होती हैं ।
क्योंकि जब वो प्रेम में होती है,
तो प्रेम ही परमेश्वर हो जाता है
और परमेश्वर ही पति
तथा परमेश्वर
कभी मरता नहीं,
इसलिए स्त्री सदैव
सुहागन रहती है !