कविता

पति क्यों परमेश्वर

अपने देश में पति को

परमेश्वर मानने की अवधारणा है,

अगर ‘पति’ आवारा हो,

मवाली हो,

नशेड़ी हो,

चोर हो,

पॉकेटमार हो,

आपको पीटते हों,

फिर भी वो परमेश्वर है,

क्यों ?

क्योंकि मेरी माँ भी

नानी से यह सबक लेकर आई हैं !

दरअसल,

परमेश्वर को पति मान लेने की

प्रार्थना से ही निकला है।

चूंकि स्त्री और पुरुष के

भाव जगत में

भिन्नता होती है,

इसलिए पुरुष

उस शक्ति स्वरूप में

हमेशा माँ को देखता है!

प्रेमिका अपनी आत्मा के

आधे टुकड़े की तलाश में

कभी उसे शिव

या कभी कृष्ण

या कभी राम में खोजती है

या इनके गुणों को

धारण करने वाले

व्यक्ति को खोजती हैं !

वास्तव में

प्रेम में डूबी औरत

सदा सुहागन ही होती हैं ।

क्योंकि जब वो प्रेम में होती है,

तो प्रेम ही परमेश्वर हो जाता है

और परमेश्वर ही पति

तथा परमेश्वर

कभी मरता नहीं,

इसलिए स्त्री सदैव

सुहागन रहती है !

डॉ. सदानंद पॉल

एम.ए. (त्रय), नेट उत्तीर्ण (यूजीसी), जे.आर.एफ. (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), विद्यावाचस्पति (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ, भागलपुर), अमेरिकन मैथमेटिकल सोसाइटी के प्रशंसित पत्र प्राप्तकर्त्ता. गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स होल्डर, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, RHR-UK, तेलुगु बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, बिहार बुक ऑफ रिकॉर्ड्स इत्यादि में वर्ल्ड/नेशनल 300+ रिकॉर्ड्स दर्ज. राष्ट्रपति के प्रसंगश: 'नेशनल अवार्ड' प्राप्तकर्त्ता. पुस्तक- गणित डायरी, पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद, लव इन डार्विन सहित 12,000+ रचनाएँ और संपादक के नाम पत्र प्रकाशित. गणित पहेली- सदानंदकु सुडोकु, अटकू, KP10, अभाज्य संख्याओं के सटीक सूत्र इत्यादि के अन्वेषक, भारत के सबसे युवा समाचार पत्र संपादक. 500+ सरकारी स्तर की परीक्षाओं में अर्हताधारक, पद्म अवार्ड के लिए सर्वाधिक बार नामांकित. कई जनजागरूकता मुहिम में भागीदारी.