जन्म – मृत्यु के फेर में,
गंगा घाट पे मोक्ष को तरसते
वो सन्यासी जो ,
अनसुलझे जीवन को त्याग
मोक्ष प्राप्ति के लिए
निकल पड़े ,
उम्मीदों का झोला टांके,
ललाट पर चंदन लगा ,
नाम मात्र के वस्त्र धारण कर
हर हर गंगे का उद्घोष ,
कतार में लगे हुए मोक्ष पाने को
कुछ को तलाश उस निर्जन स्थान की
जिस स्थान पर देह को त्याग,
आत्मा को मिल जाए मोक्ष
— कमल राठौर साहिल