लघु कथा – मौन
रूपवती गुणवती सुशील और चंचल अदाओं से परिपूर्ण स्नेहा को देखते ही मयंक ने शादी के लिए हां कर दिया |सारी बातें हो जाने के बाद बात दहेज पर आकर अटक गई| मयंक के घर वालों ने शादी में मोटी रकम के साथ ही गाड़ी की भी मांग स्नेहा के पिताजी से कर दिया| स्नेहा के पिता ने उनकी मांग के अनुसार व्यवस्था कर दिया पर फिर भी मयंक के घर वालों का मन खुश नहीं था| शादी के बाद स्नेहा अपने ससुराल चली गई| कुछ दिन तो सब कुछ ठीक रहा पर अचानक से उसके ससुराल वालों का व्यवहार उसके प्रति बदलने लगा | उसके ससुराल वाले बात-बात पर उसके साथ अत्याचार करने लगे| पहले तो स्नेहा ने इसका विरोध किया पर जब विरोध ना कर पाई तो धीरे-धीरे उसे अपनी किस्मत मान कर मौन सी हो गई |अब कोई उसके साथ कुछ भी करें वह कोई प्रतिउत्तर नहीं देती| वह अल्हड़, चंचल अदाओं से परिपूर्ण स्नेहा जैसे मर गई हो और उसका पुनर्जन्म हो गया|
— रीता तिवारी “रीत”