कविता

चाँद

भोले सर पर चाँद विराजे।
शिव शंकर का डमरू बाजे।।
नाग गले में धारण करते।
भक्तों के संकट को हरते।।
चाँद चाँदनी करते बातें।
यूँ कटती है दिन अरु रातें।।
तन मन को शीतल है करती।
सब के मन में खुशियाँ भरती।।
आज चाँद तक मानव जाते।
लौट खुशी से वापस आते।।
चाँद संग रहते हैं तारे।
सब लगते हैं कितने प्यारे।।
— प्रिया देवांगन “प्रियू”

प्रिया देवांगन "प्रियू"

पंडरिया जिला - कबीरधाम छत्तीसगढ़ [email protected]