राजनीति

राजनैतिक स्वार्थ में अब भारत रत्न का अपमान

किसान आंदोलन में अब विदेशी कलाकारों का प्रवेश हो चुका है जिसमें रिआना, गे्रटा थमवर्ग और मिया खलीफा जैसी हस्तियों ने आंदोलन के समर्थन में ट्विट करके एक हलचल मचा दी और भारत को बदनाम करने की अंतरराष्ट्रीय साजिशें भी बेनकाब हो गयी। विदेशी कलाकारों के ट्विट करने के बाद सोशल मीडिया में देश की महत्वपूर्ण हस्तियों की ओर से देश की एकजुटता व राष्ट्रप्रेम की भावना को प्रदर्शित करने के लिए एक अभियान चलाया गया था जिसमें भारतरत्न सचिन तेंदुलकर, लता मंगेशकर सहित कई हस्तियों ने एक के बाद एक कई ट्विट करके आपसी एकजुटता व भाईचारे को बनाये रखने का सफल प्रयास किया था और उसके बाद किसान आंदोलन की आढ़ में अपना राजनैतिक एजेंडा चलाने वाले लोग बेनकाब हो गये थे।

लेकिन अब उसके बाद महाराष्ट्र की शिवसेना के नेतृत्व वाली तीन अलग-अलग विचारधाराओं वाली अर्थात तीन पहिये वाली सरकार इन हस्तियों के ट्विट की जांच कराने जा रही है। महाराष्ट्र सरकार की ओर से की जा रही यह जांच पूरी तरह से राजनैतिक दुर्भावना व ईष्र्यालु प्रवृत्ति से प्रेरित है। महाराष्ट्र सरकार की ओर से जांच का जो आदेश जारी किया गया है वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का भी घोर उल्लंघन है। महाराष्ट्र सरकार के ताजा कदमों से कई सवाल खडे़ हो रहे हैं? इन आदेशों से पता चल रहा है कि हर सरकार देश के बनाये कानूनों को अपने हिसाब से किस प्रकार से चला सकती है। महाराष्ट्र सरकार ने राजनैतिक स्वार्थ के चलते राजनैतिक नैतिकता को भी दांव पर लगा दिया है। यह सोशल मीडिया में अपने समर्थकों के नियंत्रण के लिए नई जंग की शुरूआत भी हो गयी है। महाराष्ट्र सरकार ने अपने फासीवादी व नाजीवादी विचारों का प्रस्फुटन किया है। अब लोकतंत्र की परिभाषा व अभिव्यक्ति की आजादी सब कुछ अपनी राजनैतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए अपने हिसाब से चलाया जा सकता है।
संभवतः लता मंगेशकर व सचिन जैसी हस्तियां पुरस्कार वापसी गंैग में शामिल नहीं हुए, इसके विपरीत इन लोगों ने राष्ट्रीय एकजुटता को प्रदर्शित करने के लिए एक अभियान चलाया, यह बात इन स्वार्थी सत्तालोलुप लोगों को पसंद नहीं आयी। महाराष्ट्र कांगे्रस के प्रवक्ता सचिन सावंत ने आरोप लगाया कि इन भारतीय हस्तियों ने भाजपा के दबाव में आकर ट्विट किया है। कांगे्रस की ओर से सवाल उठाये जाने के बाद महाराष्ट्र के एनसीपी कोटे के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने जांच के आदेश भी जारी कर दिये हैं।

भारतरत्न सचिन तेंदुलकर से तो कांग्रेस बहुत ही परेशान और नाराज है। जिस सचिन को कांग्रेस के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ‘भारत रत्न’ दिया था आज उसी सचिन के पुतले बनाकर उन पर कालिख पोती जा रही है। पूर्व आप नेता तथा तथाकथित पत्रकार आशुतोष ने कहा कि सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न देना एक गलती थी? आखिर क्यों। क्या सचिन ने भारत विरोधी विदेशी साजिशों को बेनकाब कर दिया इसलिए या फिर इसलिए कि वे कथित पुरस्कार वापसी गैंग में शामिल नहीं हुए। महाराष्ट्र सरकार का यह कदम देशविरोधी मानसिकता का परिचायक है।

महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले के बाद देश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाली कांग्रेस अब देशविरोधी कांग्रेस बनकर रह गयी है। आज कांगे्रेस और वंशवादी परम्परा वाले दल कांग्रेस व शिवसेना को जब रिहाना, ग्रेटा थनबर्ग और और पोर्न स्टार मिया खलीफा जब किसान आंदोलन की आढ़ में भारत के खिलाफ दुष्प्रचार करती हैं, तो इन दलों को कोई आपत्ति नहीं होती, लेकिन जब भारत विरोधी प्रोपेगेंडा के खिलाफ भारत रत्न सचिन तेंदुलकर और लता मंगेशकर अपना पक्ष रखते हैं, तो कांग्रेस को तुरंत परेशानी खड़ी हो जाती है। कांग्रेस नेता पी चिदम्बरम का बयान आता है कि मानवाधिकार की कोई सीमा नहीं होती। यही परेशानी उसके शासन वाले राज्य में जांच का विषय बन जाती है।

इंडिया टुगेदर और इंडिया अंगेस्ट प्रोपेगेंडा हैशटेग पर लाखों ट्विट हुए और इसमें ट्विट करने वालों में भारत रत्न सचिन और लता भी थे। दुर्भाग्य है कि कांग्रेस ने देश के पक्ष में हुए इन ट्वीटों मे राजनीति खोज ली और इस राजनीति का ही परिणाम निकला है कि महाराष्ट्र सरकार अब यह जांच करेगी कि क्या इन ट्वीटों के पीछे केंद्र सरकार का कोई दबाव था। यह कांग्रेस की वैचारिक सोच का गिरता स्तर है। इन महान हस्तियों ने ये सोचा भी नहीं होगा कि जिस देश ने उन्हें अपना रत्न माना उसी देश की एक राज्य सरकार राष्ट्रीय एकता और अखंडता की बात करने के लिए उनके खिलाफ जांच शुरू कर देगी? देश में इस समय एक अजीब सी हलचल है। जब दिल्ली पुलिस लाल किले की हिंसा की जांच कर ही हो और देशविरोधी ट्वीट करने वालों की जांच कर रही हो, उस समय महाराष्ट्र सरकार राष्ट्रीय एकजुटता की बात करने वाले लोगों के टवीटों की जांच करने जा रही है। यह कैसा दोगलापन है।

इस जांच के आदेश के बाद सवाल उठ रहा है कि देश के लोगों को एकजुट रहने का संदेश देना और देश के खिलाफ चलाये जा रहे प्रोपेगेंडा के खिलाफ आवाज उठाना अपराध कैसे हो सकता है? महाराष्ट्र में हुआ जांच का फैसला दुनिया के सामने भारत के लिए एक गलत उदाहरण पेश करता है। इससे ये भी पता चलता है कि जिस टुकड़े-टुकड़े गैंग की हम बात करते हैं वो भारत को तो नहीं तोड़ पाया, लेकिन उसने वैचारिक तौर पर भारत के टुकड़े-टुकड़े करने की नींव डाल दी है। यह जांच पूरी तरह से असंवैधानिक है और ये सीधे-सीधे उन लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है, जिनके खिलाफ जांच की बात कही गई है।

दूसरी बात, राइट टू प्राइवेसी को सुप्रीम कोर्ट ने मौलिक अधिकार बताया है और स्पष्ट किया है कि कोई भी व्यक्ति किसी के कहने पर ट्वीट करता है और सलाह लेता है, यह राइट टू प्राइवेसी के अंतर्गत आता है। भारत के संविधान के अनुच्छेद-19 के तहत लिखित और मौखिक रूप से सभी नागरिकों को अपने विचारों और मत को प्रकट करने की अभिव्यक्ति है। हालांकि अनुच्छेद-19 के खंड-2 से, खंड-6 में यह भी उल्लेख मिलता है कि अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार निरपेक्ष नहीं है यानी यह असीमित नहीं है, इसकी भी सीमाएं हैं। इसके प्रति नागरिकों की भी जिम्मेदारियां हैं। लेकिन इनमें कहीं भी यह नहीं लिखा कि देश का समर्थन करना अभिव्यक्ति की आजादी के दायरे में नहीं आता।

हमारे देश का संविधान भारत के 135 करोड़ लोगों को देशभक्ति की पूरी आजादी देता है। लेकिन स्वार्थी राजनीति इस अधिकार को खोखला कर देती है और जब ऐसा होता है, तो देश को असंवैधानिक फैसलों से गुजरना पड़ता है। आज जब भारत में राष्ट्रवाद पर संदेह की परत दिखती है, तो हमें नेताजी के इस विचार को नहीं भूलना चाहिए कि भारत का राष्ट्रवाद न तो संकीर्ण है, न स्वार्थी है और न ही आक्रामक है, यह सत्यम्, शिवम्, सुंदरम् के मूल्यों से प्रेरित है।

सबसे बडे दुःख की बात यह है कि इसमें शिवसेना सहयोग कर रही है जो कभी राष्ट्रवाद, राष्ट्रप्रेम व हिंदुत्व की बड़ी-बड़ी बातें करती थी। आज स्वर्गीय बालासाहेब ठाकरे की आत्मा रो रही होगी कि उनकी संतान स्वार्थ में कितना नीचे गिर जायेगी। महाराष्ट्र सरकार की जांच से यह भी संकेत मिल रहा है कि अब सोशल मीडिया में वर्चस्व की जंग भी शुरू हो गयी है। इस जांच के बहाने सोशल मीडिया में देशहित में ट्वीट करने वाले लोगोें को एक प्रकार से धमकाया भी गया है और उनका मनोबल तोडने का प्रयास किया गया है। भारत के पास एक असीम शक्ति है, जिसके कारण वह एकजुट है और देश की जनता व महान हस्तियां महाराष्ट्र सरकार की जांच के दबाव में झुकने वाले नहीं हैं, क्योंकि यह सरकार महाअनाड़ी सरकार तीन पहियों वाली ऐसी सरकार है जिसका कोई भी पहिया एकजुट व मजबूत नहीं रह सकता यह केवल स्वार्थ व वंशवादी परम्परा की धरातल पर पनपी सरकार है, ऐसी सरकारों का भविष्य उज्ज्वल नहीं रह सकता।

— मृत्युंजय दीक्षित