फिर मिलते हैं
कई वर्षों के बाद वह ऑफिस के काम से आगरा आया हुआ था । काम तो एक दिन पहले ही निपट गया, पर वह अपने कॉलेज वाले दोस्तों से एक मुलाकात करना चाह रहा था । वैसे फेसबुक पर दोस्तों के क्रियाकलाप देखता रहता था और कभी-कभी ऑनलाइन मिलने पर उनसे मैसेंजर में चैट भी करता । लेकिन आभासी और वास्तविक दुनिया में बहुत अंतर है । सोचा, आज फेस टू फेस बैठकर पुरानी यादें ताजा करेंगे ।
दोस्तों से मिलने की चाहत में आठ-दस दोस्तों को फोन मिला चुका था, पर सभी व्यस्त थे । कोई शादी में, कोई काम में, कोई बाहर था । ‘फिर मिलते हैं’ के आश्वासनों को साथ लेकर वह वापस अपने वर्तमान शहर की ओर लौट चला…।
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा