वहम
खुद के अहम
और वहम में
खुद को खुदा
माना छोड़ दो।
सब की तकदीरे
वो ऊपर वाला ही लिखता है
खुद को शातिर
समझना छोड़ दो।
मैं रहूं न रहूं
इस धरा में
वो सदा ही
वास करता रहेगा
हर जगह में।
मैं मिट्टी में मिट्टी
हो जाऊंगा,
ये कोई नई बात नहीं
मगर वो खुदा
मिट्टी से फिर मुझे बनाएगा
बस ये बात याद रखना।
— राजीव डोगरा ‘विमल’