लघुकथा – साथी की तलाश
फेसबुक पर फेसबुक फ्रेंड रोहित जी से मिसेज सुषमा चैटिंग कर रहीं थीं।
उन्होंने पूछा,”रोहित जी, आप तो मेरे बेटे के उम्र के हैं फिर आपने मुझे फ्रेंड रिक्वेस्ट क्यों भेजा?”
रोहित जी ने कहा,-” नहीं जी मैं युवा नहीं हूं।मेरी उम्र सत्तर साल है।”
मिसेज सुषमा ने चौकतें हुये कहा,” पर आपके वॉल पेपर में तो बहुत स्मार्ट और हैंडसम लड़के की फोटो है।आपके पोस्ट में भी यही लड़के की फोटो है।”
रोहित जी ने कहा,”यह युवा लड़का मेरा मृत बेटा है जो दो साल पहले एक दुर्घटना में चल बसा। इसी दुःख के कारण पिछले वर्ष मेरी पत्नी भी मुझे छोड़कर ईश्वर के पास चली गई। इकलौते बेटे और पत्नी के निधन से मुझे गहरा आघात लगा। मैं अपने को नितांत अकेला महसूस करने लगा। परिवार में और कोई भी नहीं है।आप तो जानती हैं कि आजकल किसी के पास किसी के लिए भी समय नहीं है।इस अकेलेपन को दूर करने के लिए मैंने सोशल मीडिया का सहारा लिया।फेसबुक में मैंने अपनी फ़ोटो लगाकर कइयों से फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजा पर किसी ने मुझ बूढ़े का फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट नहीं किया।तब मैंने अपने युवा बेटे की तस्वीर अपने वॉल पेपर पर लगाई और उसकी कई फोटो पोस्ट की। इससे मेरा बेटा मेरे पास ही है ऐसा मुझे आभास होता है।बेटे की फोटो जैसे ही मैंने फेसबुक पर अपलोड की वैसे ही मुझे तुरंत फ्रेंड रिक्वेस्ट आने लगे। ईश्वर मेरे इस कृत्य के लिए मुझे क्षमा करें।मैंने अभी तक फेसबुक का गलत उपयोग नहीं किया। सिर्फ अपने अकेलेपन का साथी मैं तलाशता रहा।”
यह सुनकर मिसेज सुषमा वृद्वों के अकेलेपन पर सोचने को मजबूर हो गईं।
— डॉ. शैल चन्द्रा