लघुकथा

लघुकथा – वर्क  फ्रॉम होम

          आज पूरे आठ महीने हो गए मिस्टर सिन्हा को वर्क फ्रॉम होम में । वे घर पर रहकर काम  करते -करते  काफी  बोरियत महसूस कर रहे थे। उन्हें अब घर पर रहकर काम करने से ऊब और थकान का अनुभव हो रहा था। आज उन्होंने ठान लिया था कि कल ही वे ऑफिस ज्वाइन करेंगे।अपने ऑफिस में जाकर ही कार्य करेंगे और सभी कर्मचारियों को भी बुलाएंगे।अब तो  कोरोना की वैक्सीन भी आ गई है।
      दूसरे दिन वे जल्द ही तैयार हो गए। उन्हें इस तरह तैयार देखकर पत्नी ने पूछा -“क्या बात है जी , आज कहाँ जा रहे हैं?”
     सिन्हा जी ने –  कहा,”ऑफिस जा रहा हूँ। इन आठ महीनों में घर पर काम करते -करते मैं तो बहुत बोर हो गया।”
      पत्नी ने मुस्कुराते हुए कहा, “मैं तो पिछले  बीस सालों से घर पर रहकर घर का काम करती हूं।कभी-कभी ही बाजार जाती थी वो भी घर के कामों से।आपने तो मुझे कभी शहर के बाहर  नहीं घुमाया  तब भी मैं न थकी न बोर हुई ।अभी और कितने दिन मुझे वर्क फ्रॉम होम में रहना  पड़ेगा ?”
       यह सुनकर मिस्टर सिन्हा पत्नी की ओर आश्चर्य से देखने लगे।
— डॉ. शैल चन्द्रा

*डॉ. शैल चन्द्रा

सम्प्रति प्राचार्य, शासकीय उच्च माध्यमिक शाला, टांगापानी, तहसील-नगरी, छत्तीसगढ़ रावण भाठा, नगरी जिला- धमतरी छत्तीसगढ़ मो नम्बर-9977834645 email- shall.chandra17@gmail.com