नि:शब्द
तुम्हारा बोलता जाना
मेरा सुनता जाना
जवाब आँखों मे था
लबों पे खोजता जाना।
दिल जब भी बोले
मेरा मानता जाना
करवटों मे बिती रात
लबों की भी सुनते जाना।
अंजुलियों में पानी भरना
जैसे कुछ पाने की चाहत में
कुछ समेटने की कोशिश में
बूंद बूंद कुछ रिसते जाना।
चेहरे पर मुस्कुराहट
आँखों का सूनापन
होंठो पर निःशब्द तरन्नुम
प्रशांत हृदय का धड़कन ।
अनंत अनघ में मिलता मन
पग में मोह की जंजीरें
प्राणीत प्यार में पगता मन
बंद पलकों में समाती अनंत रश्मि।
कुछ अंदर कुलबुलाती अह्सास
बुला रही पास…..पास……..
और भी पास….पास……
सिर्फ धड़कनें और कुछ भी नहीं।